________________ सुशिला की अग्नि परीक्षा हो उठा। उसने कृतज्ञता भाव से मंद स्वर में कहा : _ "आप धन्य है, आपका यह उपकार मैं कभी नहीं भूलूंगा।" ठीक है। शीघ्रातिशीघ्र अपने परिवार को ले आओ।" लक्ष्मीपति ने अधिर होते हुए कहा। ___ लक्ष्मीपति की बात सुन, भीमसेन सहसा विचार में खो गया। वह मन ही मन सोचने लगा कि, आज भला काम पर कैसे लगा जा सकता है, भूख की ज्वाला से सबके पेट जल रहे है। साथ ही लम्बे समय से सब बुरी तरह थके हुये है, क्या उनके लिए यों आनन-फानन में काम पर लगना असंभव नहीं होगा। अतः कुछ सोच कर उसने गिडगिडाते हुए कहा : "हे जीवनदाता एक और उपकार मुझ पर करे। विगत तीन दिन से हमें अनाज का दाना तक दृष्टिगोचर नहीं हुआ है। तब भोजन की तो बात ही कहाँ, अतः सर्वप्रथम हमारी भूख शांत हो ऐसा प्रयल कर हमें कृतार्थ करे।" लक्ष्मीपति ने शीघ्र ही बाजार से भोजन सामग्री मंगा कर भीमसेन को दी। भीमसेन लम्बे डग भरता हुआ तेज गति से बावड़ी की दिशा में बढा। - भूख से बिल बिलाते अपने बालकों की व्यथा उससे देखी नहीं जाती थी। उसने सर्व प्रथम बालकों को प्रेम पूर्वक खिलाया और बावड़ी से ठंडा पानी लाकर उन्हे पिलाया। पेट की क्षुधा शांत होते ही बालकों में नवोत्साह का संचार हुआ। बालकों के मुँह पर तृप्ति का भाव देख, भीमसेन व सुशीला के हृदय को अपार शांति मिली। तत्पश्चात् भीमसेन व सुशीला ने भी भोजन किया और ऊपर से बावड़ी का शीतल जल पी तृप्ति का अनुभव किया। भोजनोपरांत सुशीला ने विनम्र स्वर में कहा : "स्वामी! आज की चिंता तो दूर हो गयी। परंतु अब हमें क्या करना है? कल क्या करेंगे? यहां से हम कहां जायेंगे? हम चारों का भरण पोषण किस प्रकार होगा, सच नाथ, यह सब सोच कर मारे घबराहट मेरा कलेजा मुँह को आ रहा है।" प्रत्युत्तर में भीमसेन ने सेठ के साथ हुए वार्तालाप की जानकारी सुशीला को दी। फलतः सुशीला को कुछ ढांढस बंधा। उसे कुछ राहत मिली और उसकी घबराहट दूर हुई। तत्पश्चात् सब लम्बे डग भरते हुए लक्ष्मीपति श्रेष्ठीवर्य के दूकान की ओर बढ़ गये। सुशीला की अग्नि परीक्षा लक्ष्मीपति सेठ के परिवार में एक पली ही थी। उसका नाम तो भद्रा था। किन्तु नाम के अनुरुप उसमें एक भी गुण नहीं था। वास्तव में वह भद्रा न हो अभद्रा थी। अपना काम लड झगड कर करवाने में वह कुशल थी। निरंतर जीभ चलाना और जली-फुटी सुनाना उसकी आदत थी। पर निंदा करने में उसे आनन्द की अनुभूति होती P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust