________________ सुशिला का संसार 117 होगा? उनके पास पहनने, औढने के लिये पूरे वस्त्र होंगे भी? सुशीला बिचारी कहाँ काम करती होगी? न जाने इस वर्ष में उसकी क्या दशा हुई होगी? वे सब किन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे होंगे? भीमसेन का जीवन मृतप्रायः हो गया था। परंतु विवेक का पथ उसने भूलकर भी नहीं छोड़ा। वह समभाव से भूख प्यास का सामना करता हुआ वेग से क्षितिप्रतिष्ठित नगर की दिशा में आगे बढ़ता जा रहा था। ___कई रात और कई दिनों की लम्बी यात्रा के बाद भूख, प्यास व थकान से पीड़ित खिन्न हृदय वह अपने घर लोटा। मकान के पिछले भाग में एक रोशन दान था। उसमें झांक कर बेताबी से वह अपने घर संसार का चुपचाप अवलोकन करने लगा। सुशीला का संसार भीमसेन राजा था, राजगृही नगर पर उसका आधिपत्य था। सर्वत्र उसकी सत्ता का डंका बजता था। द्वार पर हाथियों की कतार खड़ी रहती थी। सोने चाँदी के झूले थे राजमहल में। जिसमें वह अहर्निश झूलता था। एक एक वस्तु को प्रस्तुत करने के लिये सैकड़ो दास-दासियाँ करबद्ध सेवा में निरन्तर खड़ी रहती थीं। अपार वैभव था। सुख शान्तिमय जीवन निर्बाध रूप से चल रहा था। परंतु विधि की वक्र नज़र से कौन बच सका है? राज्य गया, वैभव गया। धन सम्पदा से उसे हाथ धोना पड़ा। सुख चैन चला| गया। और भीमसेन राह का भिखारी बन कर रह गया। परिवार को लेकर एक गाँव से दूसरे गाँव वह दर दर भटक रहा है। क्षतीप्रतिष्ठित नगर आया। वहाँ कुछ समय रहा। परंतु भाग्य ने झांक कर भी उसकी ओर नहीं देखा। और एक दिन रातमें बालकों को गहरी नींद सोता छोड़ कर और अपनी पली से अश्रुभीनी विदाई ले, अज्ञात दिशा की ओर चला गया था। केवल इसी आशा का सूत्र बांधे था, कि खूब धन कमाकर लाऊँगा। धन सम्पदा को अपनी चेटी बना दूंगा ताकि दुःख व दरिद्रता हमेशा के लिये रफूचक्कर हो जाय और फिर तो इस दुःखद स्थिति का अन्त ही हो जायगा।' यह सब सोच कर ही वह घर से देशाटन के लिये निकल पड़ा था। किन्तु उसकी यह आशा मृगजल ही सिद्ध हुई। उसने उसे बुरी तरह से धोखा दिया। तथापि भाग्य ने उस पर तनिक भी महरबानी नहीं की। उसने क्रूर बनकर भीमसेन को बुरी तरह झकझोर डाला। भीमसेन जिस स्थिति में गया था, उसी स्थिति में लौटकर वापिस आया था। और अब वह पत्नी व बालकों को मिलने के लिये अधीर हो गया था। पर हाय! यहाँ तो कलेजा काँप उठे ऐसा हृदय विदारक दृश्य था। खुले स्थान पर टाट का एक टुकड़ा बिछा था। उसके तार-तार बिखर कर पवन के ठंडे झोके के साथ आँख मिचौनी खेल रहे थे। फटे पुराने कपड़े पर भीमसेन का पूरा परिवार निद्राधीन था। सुशीला दाहिनी करवट पर गहरी नींद सो रही थी। उसका मुख उसे स्पष्ट दिखाई दे रहा था। आखें धंस गई थीं और उनके चारों ओर काले घेरे बन गये थे। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust