________________ भीमसेन चरित्र और स्वामिन्। मुझ पामर दासी को सीख देने का भला अधिकार कहाँ? फिर भी आप हिम्मत से काम लें तथा कुंवरों की सम्भाल रखें। नित्य प्रति धर्माचरण करें और जिनेन्द्र देव का भक्ति स्मरण नियमित रूप से करते रहें। इससे सारे कष्टों का शमन होगा।" और सुनन्दा का कण्ठ अवरूद्ध हो गया। उसकी आखों से आँसू छलक पड़े। वह आगे एक शब्द भी बोल नहीं सकी। सिर्फ सुबकती रही। भीमसेन ने उसे एक सुवर्ण-मुद्रा भेंट देनी चाही, किन्तु सुनन्दा ने न ली और छलकते नयन सबको विदा दी। भीमसेन और सुशीला की आखें भी नम हो गयी। वे अपने आँसू रोक न सके। सारा वातावरण शोक से बोझिल हो गया। जब तक वे सब दृष्टि से ओझल नहीं हो गये, तब तक सुनन्दा मशाल लिये खड़ी रही। उनके दृष्टि से ओझल होते ही वह तीव्र गति से महल की ओर लौट पड़ी तथा किसी को कानोकान खबर.न. पड़े इस तरह अपने कक्ष में आकर नियमित दिनचर्या में व्यस्त हो गयी। जंगल की ओर सुनन्दा के बताये हुए मार्ग पर चलते हुए भीमसेन व परिवार ने आधा योजन रास्ता निर्विन पार कर लिया | यों अविश्रांत चलते-चलते वे सुरंग को पार कर घने जंगल में पहुँच गये। All ANSAR R). MAN - I NE II भयानक जंगल से भागते हुए भीमसेन, सुशीला और दोनों कुंवर। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust