________________ भीमसेन चरित्र बंद कर दिया जाय, इसलिये हरिषेण ने आकाश-पाताल एक कर दिया। आनन फानन में सारी तैयारी कर ली। महल के चारों ओर सशस्त्र सैनिकों को तैनात कर दिया। भीमसेन कहीं से भी न भाग सके। अतः राजगृही नगरी की पूरी नाके बंदी कर ली। स्थान स्थान पर चौकियाँ बिठा दी। युद्ध स्तर पर सर्वत्र सैनिक दल की गश्त लगा दी। परंतु यह सब कुछ भी कारगर नहीं हुआ। हरिषेण की सारी उठक पटक बेकार सिद्ध हुई। इधर भीमसेन पहले ही किसी को कानों कान खबर न हो इस तरह सुरंग की राह बाहर निकल गया। अलबत्त हरिषेण तो अन्त तक यही समझता रहा कि, भीमसेन का अन्तिम समय अब निकट आ गया है। और वह उसका नामों निशान मिटाकर ही चैन की साँस लेगा। उसे जीवित पकड़कर आजीवन कारावास में बन्द कर देगा। साथ ही उसकी पत्नी एवम् पुत्रों को जंजीरों में जकड़ कर कठोर से कठोर दण्ड देगा, ताकि भविष्य में वे कभी उसके आगे सिर ऊंचा न कर सकें। और भीमसेन को जीवित पकड़ने के आवेश में उतावला होता हुआ वह नंगी तलवार लेकर वायु वेग से भीमसेन के महल की ओर बढ़ गया। किन्तु भीमसेन महल में हो तो नजर आये न? उसने महल का कोना कोना छान पारा। चारों ओर दृष्टि डाली। क्रोधोन्मत्त हो महल के सभी खण्डों को उलट-पुलट कर देया। परन्तु भीमसेन कहीं दिखाई नहीं दिया। रानी व राजकुमारों का भी कहीं नामोनिशां तक नहीं मिला। भीमसेन का इस प्रकार चकमा देकर निकल भागना हरिषेण को अखर गया। गुस्से के मारे बावरा बन गया। वह लगभग चीख पड़ा, 'अरे, कोई है? प्रत्युत्तर में सुनन्दा कांपती हुई आकर खड़ी हो गयी, वह प्रणाम करते हुए कम्पित स्वर में बोली : 'जी राजन्।' सुनन्दा को देखकर हरिषेण आग बबूला हो उठा। उसने तीव्र स्वर में पूछा : "भीमसेन कहाँ है? उसकी रानी व दोनों राजकुमार कहाँ है?" सुनन्दा ने चुप्पी साथ ली। उससे कोई जवाब देते न बना। हरिषेण ने पहरे पर तैनात सुभट को बुला कर पूछा : “यहाँ से किसी को बाहर जाते हुए देखा है?" 'नहीं राजन्। यहाँ से चिड़िया तक भी नहीं उड़ी है।' "फिर भीमसेन कहाँ है? उसकी रानी व राजकुमार कहाँ है? भला महल के भीतर से वे किस तरह बच कर निकल सकते हैं। अवश्य दाल में कुछ काला है। सुभट भला इस बात का क्या उत्तर देता? वह निरूत्तर सा खड़ा रहा। सुभट की चुप्पी से हरिषेण का गुस्सा सातवें आसमान पर सवार हो गया। वह क्रोधित हो उठा। उसने सरोब आदेश दिया : नगर का कोना कोना छान मारो। चारों दिशाओं में भीनसेन की तलाश करो। यदि P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust