________________ 70 - भीमसेन चरित्र वीख के साथ जग पड़े। उनकी चीख सुनकर सुशीला व भीमसेन भी हडबड़ा कर उठ बैठे। उन्होंने देखा कि दोनों राजकुमारों के पैरों से लहू निकल रहा है और पाँव में गहरा घाव है। शायद इसी वेदना के कारण दोनों व्यथित हो चीख पड़े थे। भीमसेन व सुशीला ने दोनों को समझा बुझा कर तथा घाव पर आवश्यक मरहम पट्टी कर उन्हें शांत किया और सुला दिया। राजकुमारों के निद्राधीन होते ही वे भी पुनः सो गये। सभी गहरी नींद सो रहे थे। तभी अचानक वहाँ कुछ चोर आये और कुटी के पिछवाड़े चोरी कर लाये माल का बटवारा करने बैठे। अचानक एक चोर की दृष्टि कुटिया के उस कोने पर पड़ी, जहाँ कुछ समय पूर्व ही भीमसेन ने सुवर्ण मुद्राओं से भरा बटुआ मिट्टी में दबा रखा था। उसे सन्देह हुआ कि कुटिया में अवश्य कोई सोया हुआ है तथा उसी व्यक्ति ने इस स्थान पर कुछ माल दबा रखा है। चोर ने उसी क्षण कुटिया में झाँक कर देखा तो भीमसेन व उसका परिवार निश्चित गहरी नींद सो रहे थे। उनको गहरी निद्रा में सोया जानकर चोर ने उस स्थान को खोदा और उसमें से बटुआ निकाल कर नौ दो ग्यारह हो गये। प्रातः काल होते ही मुर्गे की बाँग ने प्रभात होने की सूचना दी। परन्तु भीमसेन व सुशीला, ठीक वैसे ही राजकुमार थकान के कारण गहरी नींद में सो रहे थे। सूर्य की किरणों ने जब कुटी में प्रवेश किया तब वे लोग जागे। नींद से जागृत होने के पश्चात सुशीला ने सर्व प्रथम अपने पति भीमसेन को साIOHEATRA ImCO7) हरिसीमा / चौरी के कारण मूर्छित सुशीला को होश में लाने की कोशीश कर रहे भीमसेन व दोनों कुमारा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust