________________ भीमसेन का पलायन मन ही मन यों विचार कर भीमसेन ने अपने एक विश्वासपात्र अनुचर को बुलाकर एक तीव्र गामी रथ की शीघ्रातिशीघ्र व्यवस्था करने का उसे आदेश दिया। और इधर वह अपने प्राण बचाने की तैयारी में लगा था, तब हरिषेण अपने महल में बैठा भीमसेन के प्राण लेने की योजना बना रहा था। हरिषेण के राजमहल से चले के तुरन्त उपरान्त सुरसुन्दरी को यकायक एक विचार आया : “कहीं यह बात किसी ने सुन तो नहीं ली है? और वह दौड़ती हुई सीधी हरिषेण के पास पहुँची। वह बुरी तरह से हाँफ रही थी। उसने किसी तरह अपने को संयत करते हुए कहा : "स्वामी! सम्भव है हमारा वार्तालाप किसीने सुन लिया हो और यदि भीमसेन को आपकी योजना की तनिक भी भनक लग गयी तो अपने प्राण बचाने के लिये वह पलायन अवश्य कर सकता है अथवा अप्रत्यासित रूप से आप पर आक्रमण कर सकता है, हालांकि मुझे आपके बल-पराक्रम पर पूरा विश्वास है। फिर भी उभरते हुए शत्रु को समय रहते ही दबोच लेना चाहिए। ताकि न रहेगा बाँस और ना बजेगी बाँसुरी। अतः हे प्राण वल्लभ! शीघ्रातिशीघ्र भीमसेन के महल के आसपास कड़ा पहरा बैठा दें। फलतः वह पलायन न कर सके। साथ ही उसे व उसकी पत्नी तथा कुमारों को बन्दी बनाकर उन्हें कठोर से कठोर दण्ड देने की व्यवस्था कर दें। आप ऐसा करेंगे तभी मेरे मनोरथ सिद्ध होंगे। सुर सुन्दरी की योजना सुन प्रसन्न हो हरिषेण ने कहा : “वाह प्रिय! वाह! तुम्हारी बुद्धि पर बलिहारी जाऊँ। यह बात तो मेरे मस्तिष्क में आई ही नहीं। तुमने उचित समय पर मुझे सचेत कर दिया। मैं अभी इसका प्रबन्ध करता हूँ।" और उसने ताली बजाकर सुभट को बुलवाने का आदेश दिया। . युवराज की आज्ञा मिलते ही सुभट ने सेवा में उपस्थित हो, प्रणाम कर कहा : "आज्ञा करें महाराज! मेरे लिये क्या सेवा है?" "शीघ्रातिशीघ्र अपनी सशस्त्र टुकड़ी को भीमसेन के महल की ओर प्रेषित कर उसके आसपास चौकी-पहरा लगा दो और कड़ी निगरानी की हिदायत कर दो। और मेरी सूचना के बिना महल के अन्दर से कोई बाहर-भीतर नहीं आ जा सके। इस बात . का कड़ा ध्यान रखा जाय। इतना होने के उपरान्त भी यदि कोई दृष्टिगोचरं हो जाय तो तुरन्त उसका वध कर दो। जाओ बड़ी मुस्तदी से काम करना। ध्यान रहे, यह तुम्हारे महाराज का आदेश है।" ___"जैसी आपकी आज्ञा राजन्।" और तेज गति से सुभट वहाँ से लौट आया। उसने आनन फालनन में भीमसेन के महल के आसपास कडा चौकी पहरा बिठा दिया। साथ ही आँख में अंजन डाल कर कड़ी निगरानी करने की सूचनाएँ दीं। ताकि भीतर से कोई बाहर नहीं जा सके और ना ही कोई भीतर प्रवेश कर सके। अगर आज्ञा पालन में P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust