________________ 30 भीमसेन चरित्र किन्तु इससे काम नहीं चलेगा, समझी। मैं पूछ रहा हूँ कि क्या सुशीला के लिये यह वर उपयुक्त रहेगा? जो भी हो, अपना स्पष्ट अभिप्राय दो। बात टालने से क्या लाभ?" * "स्वामिन्! यह प्रश्न तो आप सुशीला से करें तो अधिक उपयुक्त होगा। आखिर हमें उसकी इच्छा भी तो जान लेनी चाहिये न?" "बहुत ही कुशल हो देवी! यों अपने मुँह से स्वीकार नहीं करती कि यह युवक पसन्द है।" "नाथ, आप भी बड़े वो हे! ऐसा कह कर मेरे ही बखान करेंगे। किन्तु क्या यह भूल गये कि शास्त्र वचन है कि, "स्त्रीयों की भूल कर भी कभी अधिक प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।" "इसमें भला मैं तुम्हारी प्रशंसा कहाँ कर रहा हूँ।" मानसिंह ने हास्य बिखेरते हुए जवाब दिया। तद्उपरान्त भीमसेन की तस्वीर सुशीला को भी दिखाई गई। भीमसेन का परिचय दिया गया। गुणसेन व प्रियदर्शना की पूरी जानकारी दी। सुशीला तस्वीर देखकर आत्मविभोर हो गई। परन्तु अपने मन में उठती उमंग को उसने बाहर प्रकट होने नहीं दिया। वह नतमस्तक मौन धारण किये शान्त चित्त बैठी रही। / A minine PITM हारसोमारा राजा मानसिंह और रानी उनकी बेटी को भीमसेन की तस्वीर दिखा रहे हैं। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust