________________ भीमसेन चरित्र को धर्मशास्त्र की सूक्ष्मातिसूक्ष्म बातें समझाते थे। राजगृही के बाहर उद्यान में सूरि श्रेष्ठ का पदार्पण हुआ था। उद्यान रक्षक ने सूरीश्वर को विधि पूर्वक वंदन कर उनके लिये आवश्यक सुविधाओं का यथोचित प्रवन्ध किया। तत्पश्चात् शीघ्र ही राज प्रासाद में जाकर उसने गुणसेन को सूरिजी के आगमन की सूचना दी। उस समय गुणसेन नित्यकर्म से निवृत्त होने की तैयारी में था और रक्षक ने सेवा में उपस्थित हो कर समाचार दिया : / _ 'राजन्। हमारे उद्यान में परम तारक महाप्रभु आचार्य भगवंत श्रीमान चन्द्रप्रभ सूरि महाराज साहब का आगमन हुआ है।' उद्यान-रक्षक को भेंट स्वरूप प्रदान की। आचार्यश्री के आगमन से गुणसेन का हृदय झूम उठा। उनका रोम-रोम मारे हर्ष के पुलकित हो उठा। उन्होंने राजकाज के सभी प्रपंचों को एक ओर छोड़, नित्यकर्म से शीघ्रातिशीघ्र निवृत्त हो कर वह सपरिवार सीधे गुरू भगवंत के वंदनार्थ उद्यान में पहुँच गये। आचार्यश्री की सेवा में उपस्थित हो उन्होंने विधि पूर्वक पंचांग प्रणिपात किया और विनम्र स्वर में कुशल क्षेम की पृच्छा करते हुए उनके चरण स्पर्श किये। आचार्य भगवन्त की अमोघ देशना से प्रभावित राजा गुणसेन व समस्त मानव समुदाया P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust