________________ भीमसेन चरित्र अनोखी वरयात्रा सांसारिक जीवन में विवाह को एक महत्वपूर्ण एवम् अपूर्व उत्सव माना जाता है। इसके लिये महीनों पूर्व तैयारियाँ आरम्भ हो जाती है। जिस परिवार में यह प्रसंग हो, वह कार्य व्यस्तता सम्बन्धित लोगों के शोर गुल तथा कोलाहल मय हलचल के साथ ही प्रवृत्तियों से गूंजने लगता है। उसमें भी यह तो राजपुत्र का लग्न था। इसमें भला किस बात की कमी या त्रुटि हो सकती थी? फल स्वरूप राजमहल के अदने सेवक और राज कर्मचारी से लगाकर नगर के सामान्य जन तक प्रस्तुत उत्सव की तैयारी में डूबे दृष्टि गोचर हो रहे थे। घर-घर में आनन्द की शहनाइयाँ गूंजने लगी। स्त्रीयाँ तो इस मंगल प्रसंग के लिये मानों पहले से ही कमर कस कर तैयार थीं।सभी प्रसन्नतोदधि में गोते लगाती, भाँति-भाँति के लग्न गीतों से अपनी आन्तरिक उमंग व्यक्त कर रही थीं। गली-कूचे मंगलगान तथा विभिन्न गतिविधियों से उभर रहे थे। राजाज्ञा से नगर के पाक शास्त्री भाँति-भाँति के मिष्ठान्न-पक्वान्न बनाने की तैयारी में लग गये। ऐसे मिष्ठान्न जिनका नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाय। राजकुमार के लग्न की कल्पना कर सभी की जीभ चटकारे लेने लगीं। मिष्ठान्न में प्रयुत केसर-कस्तूरी की सुगंध दूर दूर तक वातावरण को सुवासित करने लगी। का दरबारी सुवर्णकार || R Aदरबारी वन भण्डारा -rlsal TECIASNAPRIMIREN HOUSE THUMIIIIIIITY A YUYLE Va X V3LAR हरिसीमपुरा हे पैमाने पर उमंग के साथ युवराज भीमसेन के विवाह की तैयारीयां हो रही हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust