Book Title: Bhavkutuhalam
Author(s): Jivnath Shambhunath Maithil
Publisher: Gangavishnu Shreekrushnadas
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(१)
भावकुतूहलम्
[संज्ञाध्यायःराशिस्वामिनः। कुजकवी बुधचन्द्रदिवाकरा बुधसितावनिजा गुरुसूर्यजौ ॥ शनिगुरू च पुरातनपण्डितैरजमुखादुदिता भवनाधिपाः॥५॥ राशियोंके स्वामी कहते हैं कि, मेषका स्वामी मंगल, वृषका शुक्र, मिथुनका बुध, कर्कका चंद्रमा, सिंहका सूर्य, कन्याका बुध, तुलाका शुक्र, वृश्चिकका मंगल, धनुषका बृहस्पति, मकर और कुंकुंभका शनि, मीनका बृहस्पति ये राशिस्वामी हैं ॥५॥
___ग्रहमैत्र्यादिकथनम् । अङ्गारकेन्दुगुरवो रविचन्द्रपुत्रांवादित्यचन्द्रगुरख कविचण्डभानू ॥ भौमार्करात्रिपतयो बुधमूर्यपुत्रौ शकेन्दुजौ दिनकरात्सुहृदो भवन्ति ॥६॥
सौम्यः समा हि सकला कविभानुपुत्रौ । मन्देज्यभूमितनया रविजः क्रमेण ॥ भौमेज्यको सुरगुरू रिपवोऽवशिष्टा
स्तात्कालिका व्ययधनायदशत्रिबन्धौ ॥७॥ ग्रहोंके, मित्र, सम, शत्रु कहते हैं कि, सूर्यके चं. बृ० म०, चंद्र माकें सू०, बु० मंगलके सू० चं० बृ०, बुधके शु० सू०, बृहस्पतिके सू० चं० मं०, शुक्रके बु० श०, शनिके बु० शु० मित्र हैं। तथा सूर्यका बुध सम, चंद्रमाके मं० ० शु० श०, मंगलके शु० श°, बुधके श० बृ० म०, बृहस्पतिका श०, शुक्रकं मं० बृ०, शनिका बृहस्पति सम है। अन्य सब शत्रु हैं, अर्थात् सूर्यकं शु० श°, चंद्रमाका कोई शत्रु नहीं, मंगलका बुध, बुधका चंद्र, बृहस्पतिका बुशु०,शुक्रके सू०चं,शनिके सूमंचं शत्रुहैं और अपने स्थित
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