Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
उपस्थित होता है । इस रेखा के हाथ के बीच से निकलकर रवि के स्थान में जाने से साहित्य और शिल्प विद्या में उन्नति होती है। यह रेखा मध्यमा अंगुली से जितनी ऊपर उठेगी, उतना ही शुभ फल होगा । ऊर्ध्वरेखा जिस स्थान में टेढ़ी होकर जायगी, उस व्यक्ति को उसी उम्र में कष्ट होगा। इस रेखा के भग्न या छिन्न-भिन्न होने से नाना प्रकार की घटनाएँ घटित होती हैं। इस रेखा के सरल और सुन्दर होने से व्यक्ति सुखी और दीर्घजीवी जीवन व्यतीत करता है । शुक्र स्थान से कई एक छोटी रेखा निकलकर पितृ रेखा और ऊर्ध्वरेखा के काटने से स्त्री वियोग होता है ।
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जिसके हाथ में ऊ रेखा न रहे, वह व्यक्ति दुर्भाग्यशाली, उद्यम रहित और शिथिलाचारी होता है । इस रेखा के अस्पष्ट होने से उद्यम व्यर्थ होता है । इस रेखा के स्पष्ट और सरल भाव से शनि के स्थान में जाने से व्यक्ति दीर्घजीवी होता है। स्त्रियों के करतल में और पादतल में ऊर्ध्वरेखा होने से वे चिर-सधवा सौभाग्यवती और पुत्र-पौत्रवती होती हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में यह रेखा होती है । वह ऐश्वर्यशाली और सुखी होता है। जिसकी तर्जनी से तैयार मूल तक ऊर्ध्वरेखा स्पष्ट हो, वह राजदूत होता है । मध्यमा अंगुली के मूल तक जिराकी ऊर्ध्व रेखा दिखाई दे, वह सुखी, विभवशाली और पुत्र-पौत्रादि समन्वित होता है ।
जिस व्यक्ति के मणिबन्ध में तीन सुस्पष्ट सरल रेखाएं हों वह दीर्घजीवी, सुस्थ शरीरी और सौभाग्यशाली होता है । रेखात्रय जितनी ही साफ और स्वच्छ होंगी, स्वास्थ्य उतना ही उत्तम होगा। मणिबन्ध रेखाचय के बीच में कुश ह्नि रहने से व्यक्ति कठिन परिश्रमी और सौभाग्यशाली होता है। मणिबन्ध में यदि एक तारिका चिह्न हो तो उत्तराधिकारी के रूप में धन लाभ होता है, किन्तु यदि चिह्न अस्पष्ट हो तो व्यक्ति परदाराभितापी होता है । मणिबन्ध से चन्द्रस्थान के ऊपर की ओर जाने वाली रेखा हो तो समुद्र यात्रा का योग अधिक होता है । मणिबन्ध से कोई रेखा गुरुस्थान की ओर जाय तो धन-लाभ होता है। इस रेखा के सरल होने से आयुवृद्धि होती है । पर यह रेखा इस बात की भी सूचना देती है कि व्यक्ति की मृत्यु जल में डूबने से न हो जाय । कलक्खन में मणिबन्ध रेखा के सम्बन्ध में बताया गया है कि जिसके मणिबन्ध कलाई पर तीन रेखाएं हों, उसे धान्य, सुवर्ण और रत्नों की प्राप्ति होती है। उसे नाना प्रकार के आभूषणों का उपभोग करने का अवसर प्राप्त होता है। जिस व्यक्ति की मणिबन्ध रेखाएँ मधु के समान निगल सालवर्ण की हो, तो वह गुरुप सुखी होता है। जिनका मणिबन्ध गठा हुआ और दृढ़ हो वे राजा होते हैं, ढीला होने से हाथ काटा जाता है। जिसके मणिबन्ध में जबभाला की तीन धाराएं हों वह व्यक्ति एम एल ए या मिनिस्टर होता है। प्रशासक के कार्यों में उसे पर्याप्त सफलता प्राप्त होती है। जिसके मणिमें माला की दो धाराएं प्राप्त होती हैं, वह व्यक्ति अत्यन्त धर्मात्मा,
વન્ય
चतुर