Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
और धनी होता है। लट्ठ के समान पुष्ट अंगुलियों वाले व्यक्ति ऐश-आरा भोगने वाले, दृढ़ परिश्रमी, मिलनसार और सुख प्राप्त करने की चेष्टा करने वा होते हैं । लचीली अंगुलियों वाले समझदार, अधिवा खर्च करने वाले, ऋण-ग्रस और सम्मान प्राप्त करने वाले होते है।
जिसका अंगठा हथेली की ओर झुका हुआ हो, अन्य अंगुलियाँ पशु के पंजे वे राभान हों, हथेली संकुचित और चपटी हो ऐसा मनुष्य अधिक तृष्णा वाला होत है । जिसका अंगूठा पीछे की ओर झुका हुआ हो, वह व्यक्ति कार्यकुशल होता है अंगूठे को इच्छाशयित, निग्रहशक्ति, कीति, सुख और समृद्धि का द्योतक मान। गया है । अंगूठे के निमित्त द्वारा जीवन के भावी शुभाशुभ का विचार किया जाता है।
हस्तरेखाओं का विचार करते हुए कहा गया है कि आयु या भोगरेखा, मातृरेखा, पितृ रेखा, ऊर्ध्वरेखा, भागिवन्धरेखा, शुकबन्धिनीरेखा आदि रेखाएँ प्रधान हैं । जो रेखा कनिष्ठा अंगुली से आरम्भ कर तर्जनी के मूलाभिमुख गमन करती है, उसका नाम आयुरेखा है । कुछ आचार्य इसे भोग रेखा भी कहते हैं । आयरेवा दि हिन्न भिन्न न हो, तो कस20 वर्ष तक जीवित रहता है। यदि यह रेखा कनिष्ठा अंगुली के मूल से अनाभिवा के मूल तक विस्तृत हो तो 50-60 वर्ष की आयु होती है। ग़ वायुरेखा को जितनी क्षुद्र रेवाएँ छिन्न-भिन्न करती हैं, उतनी ही आयु कम हो जाती है । इन रेग्मा के छोटी और मोटी होने पर भी व्यक्ति अल्पायु होता है। इस रेजा ने शृखलाकार होने से व्यक्ति लम्पट और उत्साह-हीन होता है । यह रेग्वा जब छोटी-छोटी रेखाओं कटी हुई हो, तो व्यक्ति प्रेम में असफल रहता है । इस रेखा के मूल में बुध स्थान में भाखा न रहने मे सन्तान नहीं होती। शनि स्थान के निम्न देश में मातृ रेखा के साथ इस रेखा के मिल जाने पर हठात् मृत्यु होती है । यदि यह रेाधलाकार होकर शनि के रथान में जाय तो व्यक्ति स्त्री-प्रेमी होता है।
आपरेका की अगल में ला इमरी रेखा तर्जनी कं निम्न मेश ! - F. उसका नाः पागलर है। यदि ला शान स्थान या शान स्थान के नीचे की हो जो अकालगन्य होनी है। जिस व्यक्ति की मातृ आर यिनृ ग्ला गिनी नहीं. "TE: विशेष विचार नहीं करना और कार्य पात्र ही प्रयत्त सा जाता है। इन TEार की गला गला कांन्त आन्माभिगानी, आभनेता और व्याख्यान झालन गं पट होता है। दो मारता रहने में भौभाग्यशाली. स्परागदाता और निक हाता है तथा इस प्रकार के व्यक्ति को पैतृक सम्पत्ति भी प्राप्त होती है । यदि यह रेखा टूट जाय तो मस्तक में चोट लगती है तथा कविता अंगहीन होता है । यह रेखा लम्बी हो और हाथ में अन्य बहुत-सी खाएँ हो तो यह व्यक्ति विपत्ति काल में आत्मदान करने वाला होता है। इस रेखा के मूल में कुछ अन्तर पर यदि