Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 1
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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भद्रबाहुसंहिता
हैं। कनिष्ठा और अनामिका में सघन अन्तर हो तो बुढ़ापे में सुख प्राप्त होता है। सभी अंगुलियाँ जिसकी सघन होती हैं वह धन-धान्य युक्त, सुखी और कर्तव्यशील होता है । जिनकी अंगुलियों के पर्व लम्बे होते हैं, वे सौभाग्यवान् और दीर्घजीवी होते हैं !
स्पर्श करने में उष्ण, अरुण वर्ण, पसीनारहित, सघन (छिद्र रहित) अंगुलियों वाला, चिकना, चमकदार, मांसल, छोटा, लम्बी अंगुलियों वाला, चौड़ा एवं ताम्र नखवाला हाथ प्रशंसनीय माना गया है। इस प्रकार के हाथ वाला व्यक्ति जीवन में धनी, सुखी, ज्ञानी और नाना प्रकार के सम्मानों से युक्त होता है 1 जिनके हाथ की आकृति बन्दर के हाथ की आकृति के समान कोमल, लम्बी, पतली, नुकीली हथेली वाली होती है वे धनिक होते हैं । व्याघ्र के पंज की आकृति के समान हाथ वाले मनुष्य पापी होते हैं । जिसके हाथ कुछ भी काम नहीं करते हुए भी कठोर प्रतीत हों और जिसके पाँच बहुत चलने-फिरने पर भी कोमल' दीख पड़ें, वह मनुष्य सुखी होता है तथा जीवन में सर्वदा सुख का अनुभव करता है।
हाय तीन प्रकार के बताये है---नुकीला, समकोण अर्थात् चौकोर और मोलपतली चपटी अंगुलियों के अग्न की आकृति वाला । जो देखने में नुकीला--लम्बीलम्बी नुकीली अंगुलियाँ, करतल भाग उन्नत, मांसलयुक्त, ताम्रवर्ण का हो, वह व्यक्ति के धनी, सुखी और ज्ञानी होने की सूचना देता है । नुकीला हाथ उत्तम मनुष्यों का होता है । यह सत्य है कि हस्तरेखा के विचार के पहले हाथ की आकृति का विचार अवश्य करना चाहिए । सबसे पहले हाथ की आकृति का विचार कर लेना आवश्यक है । समकोण हाथ की अंगुलियाँ साधारण लम्बी होती हैं । करतलस्थ रेखाएँ पीले रंग की चौड़ी दीख पड़ती हैं। अंगुलियों के अग्रभाग चौड़ेचौकोर होते हैं । अंगुलियाँ लम्बी करके एक-दूसरी से मिलाकर देखने से उनके बीच की सन्धि में प्रकाश दीख पड़ता है। अंगुलियों के नीचे के उच्चप्रदेश साधारण ऊँचे उठे हुए और देखने में स्पष्ट दीख पड़ते हैं । हाथ का स्पर्श करने से हाथ कठिन प्रतीत होता है ! अंगुलियाँ मोटी होती हैं, हाथ का रंग पीला दिखलाई पड़ता है। उत्तम रेखाएं उठी हुई रहती हैं। इस प्रकार के लक्षणों से युक्त हाथ वाला व्यक्ति परिश्रमी, दृढ़ अध्यबसायी, कर्मठ, निष्कपट, लोकप्रिय, परोपकारी, तर्कणाप्रधान, और शोधकार्य में भाग लेने वाला होता है । यह हाथ मध्यम दर्जे का माना जाता है। इस प्रकार के हाथ वाला व्यक्ति बहुत बड़ा धनिक नहीं हो सकता है।
गोल, पतले और चपटे ढंग का हाथ निकृष्ट माना जाता है। इस प्रकार के हाथ में करतल का मध्य भाग गहरा, रेखाएं चौड़ी और फैली हुई अंगुलियाँ छोटी या टेढ़ी, अंगूठा छोटा होता है । जिस हाथ की अंगुलियाँ मोटी, हथली का रंग काला और अल्प रेखाएं हों, वह हाथ साधारण कोटि का होता है । इस