Book Title: Aryamatlila
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 14
________________ (१७) मार्यमतलीला ॥ मस मनुष्यों में प्रचलित करना पड़े, इसके और क्या प्रयोजन हो सकता है? परन्त जिम सरह होसके दूसरे की | कि यह दिखाया जावे कि वेदों की । बात को खखन करनी चाहिये - | भाषा इस समय ऐसी भाषा होगई है र्थात् अपना नाक कटै सो कटै कि उसके जो चाहो अर्थ लिखे जा परन्तु दूसरे का अपशगुन सकते हैं इस हेतु यदि हमारे चेलों को हमारे किये हुवे अर्थ अप्रिय हों करदेना ही उचित है इस से तो सत्यार्थ प्रकाशकी तरह इन अधों पूर्ण रूप से सिद्ध होगया कि स्वामी को रद करके दूमरे अर्थ लिख दिये जी का कोई एक मत नहीं था बरण जावें देखिये स्वामी जी अग्वेद के प्रजिसमें उनके चेले खुशहों वही उनका | घम मंडल के छठे अध्यायके सूक्त ९१ मसचा यह ही कारण है कि प्रथम में पांचवीं ऋचाके दो अर्थ इस प्र- . बार सत्याचे प्रकाश पुस्तक सपने और | कार करते हैं। उनके चनोंके पास पहुंचने पर जब उनके प्रथम अर्थ-“हे समस्त संसारके उ- . चेले नाराज हुवे और उस सत्यार्थ प्र- | स्पन्न करने वा सब विद्याओंसे देनेकाश में लिखी बातें उनको स्वीकार | वाले परमेश्वर ! था पाठशाला प्रादि . न हई तब यह जानकर तुरंत ही | व्यवहारों के स्वामी विद्वान् शाप अस्वामी जी ने उस सत्यार्थप्रकाश को | विनाशी जो जगत् कारस या विद्य- . मंसूख कर दिया और दूसरी सत्यार्थ | मान कार्य जगत् है उमके पानने हार । प्रकाश नामक पुस्तक बनाकर प्रकाश | हैं और प्राप दुःख देने वाले दुष्टों के । करदी जिसमें उन सब बातों को र. विनाश करने हारे मनके स्वामी विद्या दृ कर दिया जो उनके चेलों को प- के अध्यक्ष वा जिस कारण प्राप सन्द नहीं हुई थीं वरण उन प्रथम | अत्यन्त मुख करने वाले हैं वा ममस्त ' लेखों के विरुद्ध सिद्धान्त स्थापन कर | बुद्धि युक्त वा वुद्धि देने वाले हैं इसीसे ' दिये। इसके मिवाय वेदोंका अर्थ जो | आप सब विद्वानों के सेवने योग्य हैं : स्वामी जी ने किया है वह भी वि- दूसरा अर्थ-" सब श्रीषधियोंथाग- लकल मनमाना किया है और जहां गादाता सोम औषधि यह प्रौषधियों जनसे हो मका है उन्होंने वेदके में उत्तम ठीक २ प करनेताले : अर्थों में वहही बातें भरदी हैं जो की पालना करने हारा है। और यह . उनके चेलों को पमन्द थीं-वरण शायद मोम मेघके समान दोषोंका नाशक रोइस खयाल से कि नहीं मालूम हमारे गोंके विनाश करनेके गणोंका प्रकाश , चनोंको कौन बात पसन्द हो कहीं २ दो | करनेवाला है वा जिस कारण यह सेवने . दो और तीन तीन प्रकार के अर्थ | योग्य वा उत्तम बुद्धिका हेतु है सीसे करके दिखला दिये हैं जिससे मिवाय | वह सब बिद्वानोंके सेक्नेके योग्य है।

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