Book Title: Aryamatlila
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 12
________________ (८) मार्यमतलीला। मार्यावतं देश जहां तिब्बतसे पाकर | गये-परन्तु यह तो बड़ी हेटी बात आर्योका बास करना स्वामीजीने - | होगई -स्वामी जी ने तो उत्तर से माने ताया है उसकी सीमा इस प्रकार ब- | वालों के शिरसे यह कलंक हटाने के न की है कि, उत्तर में हिमालय, द- वास्ते कि उन्हों ने इस देश के प्राक्षिण में बिम्ध्याचल, पश्चिममें मरस्व- । चीन भील आदिक वहशी जातियों ती और पर्वमें अटक नदी- और इस को मारकर भगा दिया और उनका ही पर स्वामीजीने लिखा है कि आर्या देश छीन लिपा इतिहाम कारों के वर्त से भिन्न पर्व देशसे लेकर ईशान 3- बिरुद्ध यह मिद्धान्त बनाया था कि तर वायव्य, और पश्विम देशों में रहने हिन्दुस्तान में पहले कोई नहीं रहवालोंका नाम दस्य और म्लेच्छ तथा ता था बरण यह देश खाली था प. असुर है और नैर्मत दक्षिण तथा प्रा- रन्तु इस मिद्धान्तसे तो हमसे भी बग्नेय दिशाओं में आर्यावर्त देशसे भिन्न ढ़िया दोष लगगया अर्थात् यह मा. रहने वाले मनुष्यों का नाम राक्षम है। नना पड़ा कि भील आदिक वहशी स्वामीजी लिखते हैं कि अब भी दे जातियां जो हम समय हिन्दुस्तान खलो हबशी लोगोंका स्वरूप भयङ्कर में मौजूद हैं वह यिद्वान् भार्याभों | से ही बनी हैं। जमा राममोंका वर्णन किया है वैमा - प्यारे प्रार्य ममाजियो ' पाप घबही दीख पड़ता है। हम स्वामीजीके राये नहीं स्वामी जी स्वयम् लिखते चलोंसे पूछते हैं कि यह भील वारा हैं कि सृष्टिको प्रादिमें प्रथम एकही क्षम घा वहशी लोग कहीम आकर | मनुष्य जाति थी पश्चात् तिब्बत ही बसे वा पहलेसे रहने हैं वा जो मा- | देश में उन प्रादि मनुष्यों की संतान ये लोग यहां आये उन्होंमेंसे राक्षम में जो २ मनुष्य श्रेष्ठ हुवा वह भाप वनगये? इमका उत्तर कुछ भी न बन कहनाने लगा और जो दुष्ट हुवा उपड़ेगा क्योंकि यह तो स्वामीजी ने सका दस्यु नाम पाटगया इस कारण कहीं कथन किया ही नहीं है कि द- हे प्रार्यममाजियो ! सब पायर्या अर्थात् स्य लोग भी हिन्दुस्तानमें आये और | श्रेष्ठ पुरुष अपने दष्ट भाइयों से हर इस बातका स्पष्ट निषेध ही किया है | कर हिन्दुस्तान में तो पागये परन्त | पहिले इस हिन्दुस्तानमें कोई वसता जो हिन्दस्तान में आये उनकी सं. था तब लाचार यह ही मानना पड़े | तान में भी बहुत से तो श्रेष्ट ही रगा कि प्राओं में से ही भीम्न प्रा. | हे होंगे और बहुत से तो दुष्ट हो दिक वहशी और भयङ्कर राक्षम बन गये होंगे क्योंकि यह नियम तो

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