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. आर्यमललीला।
इम कारण स्वामी जीने अपने चेलों | आने से पहिले इस देश में भील संके हृदय में यह बात और भी दृढ़ क.. थाल प्रादिक जंगली मनष्य रहते थे रने के बास्ते ऐसा लिख दिया कि सृष्टि जिन को खेती करना मादिक नहीं को आदिमें मनुष्प प्रथम तिब्बत देश
प्रासाथा । जब आर्य लोग उत्तरकी में उत्पन्न कियेगये क्योंकि हिमालय
तरफसे प्रथम पंजाब देश में पाए तो से परै हिन्दुस्तान के उत्तर में तिव्यत उन्होंने इन भील मादिक बहशी लो। ही देश है-और यह कहकर अपने गोंसे युद्ध किया बहुतोंको मारदिया
चे नोंको ख ग करदिया कि जो लोग | और बाकी को दक्षिण की तरफ भगा तिव्यत से हिन्दुस्तानमें श्राकर बसे दिया और पंजाब देशमें बसगए फिर वह बिद्वान् और धर्मास्मा थे इम ही | इस ही प्रकार कुछ और भी आगे हेतु इम देशका नाम आर्यावर्त देश | बढ़े यह ही कारण है कि पंजाब और हुआ है
उमके समीपस्थ देश में भील आदिक अंगरेज इतिहासकारोंकी इतनी बात | वहशी जातियोंका नाम भी नहीं पातो स्वामी जी ने मान नी परन्तु यह
या जाता है और यह लोग प्रायः दबात न मानी कि तिशत से प्राय
क्षिणा ही में मिलते हैं इस कथन में लोग जिस प्रकार हिन्दुस्तानमें आये
उत्तरसे आने वाले मार्योंपर एक प्रइस ही प्रकार अन्य देशों में भी गए कार का दोष आता है कि उन्होंने बरन हिन्दुस्तान वासियों की बहाई हिन्दुस्तान के प्राचीन रहने वालों को करनेके वास्ते यह निषदिया कि अ- मारकर निकाल दिया और स्वयम् न्य सब देश दस्यु देश ही हैं अर्थात् इस देशमें बसगयेअन्य मब देशमें दम्य ही जाकर बसे ऐमा विचार कर स्वामी जीने यह और दस्युका अर्थ चोर डाकू प्रादिक ही लिखना उचित ममझा कि जब किया है यह कैसे पक्षपात की बात प्रार्य लोग तिठयतमे इस देशमें पाये है ?-इम प्रकार अपनी बड़ाई और मो उम ममय यह देश खाली या कोई अन्य पुरुषों की निन्दा करना अद्धि- नहीं रहता था बरणा तिब्धत देशके मानोंका काम नहीं हो सकता-परन्त दम्य लोगोंमे लडाईमें हार मानकर अपने चेनों को खश करने के वास्ते स्वा
और तङ्ग आकर यह आर्य लोग इस मीजीको सब कच करना पड़ा.
हिन्दम्तान में भाग यायचे और खाली अंगरेज इतिहासकारों ने यह भी । देश देखकर यहीं था बसे थे-स्वामी लिखा था कि भार्यों के हिन्दुस्तानमें । जीको यह भी प्रसिद्ध करना या कि
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