Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam Author(s): Nemichandrasuri Publisher: Raichand Gulabchand Shah View full book textPage 9
________________ कुसुमपूजायां कुसुमशेखरकथा रामं ॥१॥ तं परिपालइ विजाहराहिवो नयणवेग अभिहाणो। गहियन्वयभरसिरिकिरिणवेगखयरिंदअंगरुहो ॥२॥ दाहिणनंदीसरगरुयवेगवलिएण तेण सच्चवियं । अन्नोन्नं परिसत्तं पडन्तमित्थीपुरिसजुयलं ॥ ३॥ अञ्चतरूवरमणीरमणं पइ रइयबुद्धिणा तेण । तहुगमवि अवहरिउं नीयं सेले विसालग्गे॥४॥ तो थंभणीए विजाए थंभिउ पुरिसमाह रमणिं सो। मं अणुरत्तं भत्तं भत्तारं सुन्भु मन्नेसु ॥५॥ तीउत्तं तं सुपुरिस भाया मह नियसहोयरसरिच्छो । ता उभयभवविरुद्ध तुमए नो किंपि वत्तवं ॥६॥ अवरं च न सायत्ता अहं जतो जणायदिन्निया कन्ना। वीवाहिजइ सेच्छा जुत्ता न भवारिसाणंपि ॥७॥ तुम्हारिसावि उत्तमकुलुब्भवा जइ मुयंति मजायं । ता बंधव अकुलीणाण पावकारीण का वत्ता ॥ ८ ॥ किं नियपियासरीराउ मह सरीरम्मि समहियं किंपि । दिद्वं जं भाय तुमं संपइ जंपसि अवत्तवं ।। ९॥ वित्थरइ जरा परिगलइ जोवणं जाइ जीवियपि । किं नाम सासयं तुह देहे जमकजसजोसि ॥ ११० ॥ मुत्तंतपुरीसवसावासे दुग्गंधमलविलीणमि । मह देहे किं सारं जं रायरसे तुहुक्करिसो ॥ ११॥ एत्थंतरंमि चउनाणनायनियपुत्तपाववुत्तंतो। तबोहत्थं सिरिकिरणवेगसूरी सहिं पत्तो ॥ १२ ॥ तेणुत्तं भो सावय किं तुज्झ कुलकमो इमो जमिमं । पारद्धं तुमए निंदणिजमुत्तमनराण जतो ॥ १३ ॥ लजिज्जइ जेण जणे मइलिजइ नियकुलक्कमो जेण । कंठट्ठिएवि जीए कुणंति न कयाइ तं सुयणा ॥ १४ ॥ किं पुत्त पिइपियामहपमुहेहिं वयं कयं हवइ जेसिं । ते इव निम्मजाया तुमं व पावप्पिया हुंति ॥१५॥ अवरं च इमा भइणी सहोयरा तुह मुणेमि नाणेण । जं रयणप्पायाराहिवरयणाभरणभूवइणो ॥ १६ ॥ तं अंगरुहो जेट्ठो एसावि सुया कणिट्ठिया तस्स । वच्छ मए तं हरिओ निवभवणा मासमेत्तवओ॥ १७ ॥ कुमरीवयणविरत्ते चित्ते पिइसिक्खणेण संवेगो। लग्गो खेयरवइणो पासियवत्थम्मि रंगोब ॥ १८॥ तो तेण पायजुयले लग्गेऊणं खमाविया भइणी । उत्थंभिउं कुमारं पणमिय सूरीण विन्नत्तं ॥ १९ ॥ पहु मोहमहाकूवे अविवेयजले DUDELCULELLEGESSES595555555-haPage Navigation
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