Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 77
________________ नैवेद्य पूजायां भुवनप्रमोदककथा 5 करणिजं रइयरम्मसिंगारो। उवविसइ सहाए निवो नमंतसामंतमन्तियणो ॥ १६॥ एत्थंतरे निलचलइयावलीरणझणन्तकिंकिणियं । मणिकिरणभरियभुवणं विमाणविंदं समणुपत्तं ॥ १७ ॥ गयणंगणमुक्कविमाणचक्का नीहरिय नहरयनिवेहिं । अणुगम्मतो सालयभुयलग्गो आगओ कुमरो ॥१८॥ अत्थाणसन्निविट्ठ जणयं पणमइ महिमिलियमउली । तेणावि गाढमालिंगिऊणमापुच्छिओ कुसलं ॥ १९ ॥ पुणरुत्तं पणमिय भणइ ताय कुसलं तुहप्पसाएण । कयजणणिपय|प्पणई उवविट्ठो पिउपयासन्ने ॥ १३२०॥ सह नहयराहिवइणा रंना काऊणमुचियपडिवत्तिं । उववेसिओ निए सो मणिमयसीहासणद्धम्मि ॥२१॥ सेसावि खयरपहुणो पणमिय दिन्नासणेसु उवविट्ठा । पणयाए वहुआए भव पुत्तवइत्ति भणइ निवो ॥ २२ ॥ तो सा पणमित्तु कुमारमायरं वामपासमुवविट्ठा । सुयहरणाविणयं खमसु राय इय भणइ खय|रवई ॥ २३ ॥ जइ न हरावेतो हं तणयं ता सुया मरंती मे । विहिओ मए अनाओ इमो सुयाजीवणनिमित्तं ॥२४॥ रायाह एस अनओ न होइ खयरिंद नणु इमा नीई । “समयाणुवत्तणं बहुगुणं च जं सो नरिंदनओ" ॥२५॥ खयराहिव बहुसुहमिच्छिरेहिं कटुं सहिजए थोवं । किमणंतसिवसुहत्थे कडं न कुणंति मुणिवसहा ॥ २६॥ विणओच्चिय एसो अविणओवि अहियं नारद तुह मन्ने । कन्ना तए विइन्ना जं मह भूगोयरसुयस्स ॥ २७ ॥ इय जंपिय सम्माणो तस्स कतो राइणा खयरपहुणो। परिवारजुयस्स जहा सविम्हओ सो ढिओ दूरं ॥ २८ ॥ एवं नरवरसम्माणकरणसंजायसमहियसिणेहा । ठाऊणं दिवसदुगं सट्ठाणे खेयरा पत्ता ॥ २९॥ नवकतासंजुत्तो विविहविणोएहिं कीलइ कुमारो। उवविसइ य अत्थाणे पिउपासे उभयसंझपि ॥ १३३० ॥ कइयावि परभवोचियसुकज्जकरणुज्जएण नरवइणा । गुरुरिद्धिवित्थरेणं कुमरो अहिासंचिओ रज्जे ॥३१॥ तो मोहमल्लनामस्स सूरिणो पायपउममणुसरिउं। गहिया दिक्खा रंना तविय तवं सो सिवं पत्तो ॥ ३२ ॥ नवनिवई वि नएणं पालेइ पयं विणिग्गइ दुढे । समुवज्जइ विमलजसं कुणइ य 5 595959559HIS 5555555555555

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