Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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नैवेद्यपूजायां भुवनप्रमोदककथा
पवंधावि तेत्तिया नूणं । तो पुरिसेहिं सवसयाओ सुद्धमहिलाओ कीरति ॥ १२८० ।। दुबिलसियाई काउं कुवियपियाए तमुत्तरं दिति । नियसच्छयाए सवा(सच्चा) इमेत्ति मंनंति तो ताओ ॥ १ ॥ इय चिंतावसअच्चंतजायवरविसयविसयविहेसा । तं चेव गरुयवेरग्गकारणं धरइ हिययंमि ॥ ८२॥ पइविद्देसवसाएवि तीए मुक्कं न विनयकरणिजं । "लंघति न रुहाओवि कुलवहुयाओ कुलायारं" ॥ ८३॥ तेणेवय वेरग्गेण भत्तुणो मोइऊणमत्ताणं । पडिवन्ना बालतवं नवरं न मुयइ पिएणुसयं ॥ ८४ ॥रणसूरो पुण सरलस्सहावओ सरइ नियगुरुक्कमणे । दीणाइयाण दाणाई देइ न करेइ अन्नायं ॥ ८५ ॥ एवं मज्झिमपरिणामवससमजियनराउ निवरिद्धी। मरिऊण भुवणतिलयाभिहपुरनिवनंदणो जाओ ८६ ॥ तब्भज्जावि तवज्जियविज्जाहररिद्धिभोयसंभारा । मरिय सुया तुह जाया रहनेउरचकवालपुरे ॥ ८७ ॥ पुबिल(ल)भवम्मि मया पुरिसवेसेण संजुया जमिमा । इह जम्मेवि तमुबहइ तुह सुया निव नरवेसं ॥८८ ॥ भणियं केवलिणा नहयरिंद तुह कंनयाए पुरिसम्मि । विदेसकारणमिमं पयासियं पुच्छमाणस्स ॥८९॥ तं सोउं जाईसरणनाणविन्नायनियभवा भणइ । पहु तं तहेव सच्चं तुन्भेहिं जहा समक्खायं ॥ १२९० ॥ तो सो ससुओ नयकेवली गओ नियपुरे खयरराया। जाया य निट्ठियप्पा नियामिमाणे भुवणलच्छी ॥ ९१ ॥ चिंतइ महाणुभावेण तेण तइया न विरइयमजुत्तं । जं मोयगेण विहिया पूया देवाहिदेवस्स ॥ ९२ ॥ तइया दइए सरले वि दुवियप्पं पकप्पमाणीए । महिलाण मए पयडीकयं धुवं तुच्छपयइत्तं ॥ ९३ ॥ जइ हं तं पुच्छंती ता सो तइयावि मह पयासंतो। जं पुच्छिएण
तेणं कयाइ वट्ठोत्तरं न कयं ॥ ९४ ॥ इय चिंतंती जाया पियम्मि पोढाणुराइणी बाला। नियदुबिलसियसुमरणउविं5 विरफुरियरणरणया॥ ९५॥ चत्तो रत्तोवि पिओ भवम्मि पुवे इमाए कुवियप्पा । इय चिंतिय कुविएणव कामेण सरेहिं
पहया सा ॥ ९६ ॥ दाहो वाहो कंपो हियए नयणेसु देहजबीए । तवेलंचिय तीए संजाया सत्तिया भावा ॥ ९ ॥
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अनन्त०७

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