Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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भत्तिभरनिव्भरंगो पण मिय पयकमलमिलियभालयलो । उवविट्ठो जंपर पहु गिहिजोग्गं कहह मह धम्मं ॥ ५६ ॥ आह पहू आयन्नसु नारयतेरिच्छनरसुरविभेया । भवइ भवो चउभेओ "दुहमेवय चउसुवि गईसु ॥ ५७ ॥ पाणिवहप्पमुहमहापावा निवडंति पाणिणोणेगे । नरएस तेसु वि सहति वेयणं विरसमारसिरा ॥ ५८ ॥ तिरियनरभवंतरिया | पुणरुत्तणुभूयसवनरयदुहा । बहुसो वि तिरिच्छंते सहन्ति समुवज्जिऊण दुहं ॥ ५९ ॥ सासयविरोहवहवाहदोहमंसासिमारणाईणि । असुहाई समणुहविऊण केवि अज्जंति मणुयत्तं ॥ १४६० ।। तम्मि वि धम्मविरहिया दीणा दारिद्ददुहभरकंता । विहली हूयमणोरहमाला परिभवपयं हुंति ॥ ६१ ॥ देवावि परप्पेसत्तदुसहईसाविसायवियलंगा । अत्ताणामकयकयं निंदता दुहमणुहवंति ॥ ६२ ॥ एवं पावंति सुहं न गइचउक्केवि धम्मपरिहीणा । धणवज्जियब विवणीए नियमणोभिमयवरवत्युं ॥ ६३ ॥ ता धम्मोश्चिय कज्जो दुविहो सो साहुगिहिविभेएहिं । पढमे दसेव भेया भैया वीयम्मि बारस उ ॥ ६४ ॥ संमत्तजुया दोन्निवि दिंति सिवं तंपि मुणसु संमत्तं । गयरायदेव-निग्गंथसुगुरु-नवतत्तसदहणा ॥ ६५ ॥ एगयरंपि असत्तो धमं काउं करेइ भावेणं । अट्टप्पयारपूयं जिणाण जं सा वि सिवजणणी ॥ ६६ ॥ |नेवज्जकुसुमअक्खयदीवयफलसालिधूववासेहिं । इय अट्ठविहा पूया कया जिनिंदाण भवहरणी ॥ ६७ ॥ अट्ठवि काउमसत्तो सत्तो जइ कुणइ वासपूर्वपि । तित्थेसरस्स ता जाइ तस्स पावं जओ भणियं ॥ ६८ ॥ घणसारहरिणनाहीसुयंधवरवासखेयपूयमिसा । जिणपवणसंगमेणव पावरयं दूरमुडेइ ॥ ६९ ॥ ता धम्मसील पत्तं मणुयत्तं मा मुद्दा तुमं नेसु । समुवज्जसु वासेहिंवि पूइत्तु जिणं परमपुन्नं ॥। १४७० ॥ इय सोउं सो सद्धम्मदेसणं सूरिणो नमिय भणइ । पहु मह महापसाओं कओ इमं साहिउं धम्मं ॥ ७१ ॥ नूण निरीहा तुम्भे परोवयारेकबद्धवावारा । जं मह दरिद्दियत्सवि एवं धम्मं समाइसह ॥ ७२ ॥ इय जंपिय पणयगुरु गहियतणाई गओ गिद्दे नियए । कहिओ य भारियाए पूयाफल
वासपूजायां गन्धबन्धुरकथा

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