Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 89
________________ वासपूजायां गन्धबन्धुरकथा कन्नाओ ॥ २७ ॥ दटुं तं रजमहाभरधरणसमत्थमुत्तमे लग्गे । अहिसिंचइ नियरजे राया रिद्धिप्पबंधेण ॥ २८ ।। काराविऊण जिणइंदमंदिराई गिरिंदरुंदाई । सूरीहिं पइट्ठाविय मणिमयतित्थेसरे तेसु ॥ २९ ॥ सिद्धंतपोत्थयाइं लिहाविउं पूइउं च सिरिसंघं । घोसाविउं अमारिं मोयाविय सबगुत्तिनरे ।। १५३०॥ आरुहिय रयणसिवियं दितो दाणाई दीणदुत्थाण । गुरुरिद्धीए गंतूण सुगुरुपासंमि पवइओ ॥ ३१ ॥ अहिगयसुयसभावा पाउब्भूयप्पभूयसंवेगो। निम्मूलुम्मूलियघाइकम्मवसपत्तनवनाणो ॥ ३२ ॥ महुरस्सरसदेसणपडिबोहियभूरिसवसंघाओ। संपत्तो सो सासयसोक्खसमिद्धीए सिद्धीए ॥ ३३ ॥ एयस्स वासपूया जह जाया सिद्धिसोक्खसंजणणी । तह अन्नस्सवि जायइ जइयत्वं ता सया तीए॥३४॥ वासपूजा ॥ ॥ इय तिहुयणसामिअणन्तनाहकहियम्मि अट्ठपूयफले। बहुमाणपसअकलिओ कयंबपरिमल. महीनाहो ॥ ३५ ॥ ॥ इति श्रीअनंतनाथचरित्रगतपूजाष्टककथानकानि । समाप्तोयं ग्रन्थः ॥ श्रीरस्तु । शुभं भवतु ॥ ॥श्रीः॥ यादृशं पुस्तकं वीक्ष्य तादृशं लिखितं मया ॥ हीनाधिक्यैः स्वरैर्वणैरस्माकं दूषणं नहि ॥ १॥ * * ॥ | धम्मधरुद्धरणमहावराहजिणचंदसुरिसिस्साण । सिरिअम्मएवसूरीण पायपंकयपरेणेह ॥ १॥ सिरिविजयसेणगणहरकणिट्ठजसदेवसूरिजेटेहि । सिरिनेमिचंदसूरीहिं भवलोओवएसट्ठा ॥ २ ॥ सयमेव कयाउ अणंतसामि जिणरायचारुचरियाउ । पूयट्ठगमुद्धरियं तं नंदउ तिहुयणं जा उ ॥ ३ ॥ पञ्चक्खरगणणाए सिलोगमाणेणमेत्थ जायाई। पूयट्ठगम्मि |सयरीसमहियअट्ठारससयाई ॥ ४ ॥ छ । ग्रंथानं १८७० ॥ छ ।। श्रीः ।। श्रीः॥ * ॥ * ॥ * ॥ पान

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