Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
View full book text
________________
| नैवेद्य
श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम्
पूजायां
भुवनप्रमोदक
कथा
॥३७॥
अरईसूयगसिक्कारवसविणिक्खंतरत्तदंतपहं । हिययंमि अमायन्तं उबमइ पियाणुरायं व ॥९८॥ असुहपसरप्पकंपिरकरजुयनहसुत्तिकतिपसरेण । धवलंती चंदणरसपंकेणव ताविलं देहं ।। ९९ ॥ इय पसरियनियपियविरहतावदावग्गिदज्झमाणतणू । उल्वेयावेयवसा बाला क8 दस पत्ता ॥ १३०० ॥ गरुयाणुणयपुरस्सरपुच्छंतसहीण साहिओ तीए । पुवप्पियम्मि भुवणप्पमोयगे निवसुए नेहो ॥१॥ भणई य जइ तमहं पुवभवपियं हे सहीओ न लहेमि । देमि धुवं ता जलणस्स आहुई नियसरीरेण ॥२॥ नहयरनाहस्स सहीहिं साहिओ तीए निवसुए राओ। तो से तोसो जाओ सुयाए कुमराणुरत्ताए ॥३॥ जंपइ पन्नत्तिं देवयं निवो देवि आणसु कुमारं । अञ्चाहियं न जायइ जा महजीवियसमसुयाए ॥ ४ ॥ तो इह देवी पत्ता पत्ते कुमरम्मि रम्ममुजाणं । काऊण किंनरीपेच्छणच्छलं तीए हरिओ सो ॥५॥ नेउं रहनेउरचक्कवालनयरम्मि नयरिंदस्स । सो उवणीओ तीए सह कुमरीए पमोएण ॥ ६॥ कयगोरवेण कुमरस्स राइणा कहिय कंनयाचरियं । भणियं पुत्वभवपियं परिणसु तं वच्छ मह दुहियं ॥ ७ ॥ तं सोउं जाईसरणनायनियपुत्वजम्मवुत्तो । जंपइ तए जमुत्तं काहं सबंपि तं किंतु ॥ ८॥ हरिए मए ममंबापिऊण जायं भविस्सइ दुहंतं । जेण न होहिंति पहूणि ताणि नियपाणधरणस्स ॥ ९॥ तयणु नयरनिवेणं कुमारकुसलप्पउत्तिकहणकए। तुम्हंतियम्मि पंनत्तिदेवया पेसिया एत्थ ॥ १३१० ॥ एवं समहिट्ठिय सालिभंजियं कणयथंभयग्गाओ। अवयरिय मए कहिओ तुह सुयअवहरणवुत्तंतो ॥ ११॥ इय भणिऊणुच्छलिउं सट्ठाणे सालिहंजिया पत्ता । अत्थाणजणो सबोवि विम्हिओ नरवइप्पमुहो ॥ १२ ॥ जंपंति सव्वसामंतमंतिणो देव पेच्छ अच्छरियं । जं जंपति सजीवारमणीओव रयणपडिमाओ ॥ १३ ॥ देवोच्चिय पुन्नपयं जस्स सयं खेयरी, ठिया वहुया । किं कामदुहा घेणू अभद्दनरगेहमल्लियइ ॥ १४ ॥ एवं जपंताणं ताणं सो वासरो वइकतो। माणियसुहनिहाणं झडित्ति रयणिवि अवसरिया ॥ १५ ॥ काऊण दिणयरोदय-1
195959595955555555555595959595555555994
॥ ३७॥

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90