Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 80
________________ श्री अनन्तनाथचरि त्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् ॥ ३९ ॥ हीरेहरइयबहुभंगिपत्तंव ॥ ६७ ॥ भमरउलकालकुंतलधम्मिल्लुल्लसियसियकुसुममालं । सामचउद्दसिनिसिदिस्सविमलरयरकलं ॥ ६८ ॥ दद्धुं कुमरिं नियचरणचारुसंचाररणिरघग्घरिओ । गंतूण संमुहो भणइ कुमरि तुह सागयं एत्थ ॥ ६९ ॥ एहि इहं च वर्णतो कयलीहरए सदक्खमंडवए । उवविसिउं आयन्नसु जं किंपि अहं तुह कहेमि ॥ १३७० ॥ तं अवलोइय अञ्चब्भुएकहेउं सहीउ सा भणइ । कोऊहलमवलोयह जमिमो दीसइ नरमऊरो ॥ ७१ ॥ तह वाहरइ सविणयं मं किंपि हु मज्झ कहिउमिच्छन्तो । ता तं आयनेमो उववसिउं साहए जमिमो ॥ ७२ ॥ जंपंति ताउ सामिणि तुम्हाऽऽणच्चिय पमाणमम्हाण । कल्लेसु समग्गेसु वि किं पुण एवंविहच्छरिए ॥ ७३ ॥ तं सोउं मुक्कसुहसणावि कुमरी सुहासणे ठाइ । उबविट्ठासु सहीसुं कहिउं लग्गो नरमऊरो ॥ ७४ ॥ अत्थि गरिट्ठसुरट्ठाविसिट्टवसुहावयंससंकासं । वसुहावयंसयं नाम नयरमइरम्मरमणियणं ।। ७५ ।। रयणावयंसयनिवो तं पालइ जो रणागयंपि रिडं । अस्सत्थमुभयहाविहु मुंचइ अस्सत्थमवि सदओ ॥ ७६ ॥ तत्थ निवमाणणिज्जो पुज्जो पउराण पउरगुणभवणं । दीहरदिट्ठी सेट्ठी निवसइ नयवद्धणो नाम ॥ ७७ ॥ तस्सत्थि भाइपुत्तो सुरुववंतो धणावहो नाम । उवरयजणउत्ति करेइ तस्स गुरुगोरवं सेट्ठी ॥ ७८ ॥ मुत्तूण नियंगरुहे वियरइ वत्थाइ तस्स परमं से | अहव “गुरुयासयाणं अप्पपरवियारणा नत्थि" ।। ७९ ।। परिणाविओ य उम्मीलमाणनवजोबणाभिरामतनुं । धणसेट्ठिसुयं नामेण धणवईं सीलकुलभवणं ।। १३८० ॥ कइयावि हु असुहोदयवसओ सो सेट्ठिमाह मह ताय । वियरसु घरस्सिरीए अद्धं भिन्नो भविस्समहं ॥ ८१ ॥ तं सोऊण पर्यपइ सेट्ठी किं वच्छ एवमुल्लवसि । तं मोत्तुं को अंनो घरस्सिरीसामिओ कहसु ॥ ८२ ॥ अञ्चन्भुयभोयअमाणदाणकज्जे धणवयं कुणसु । अणुकूलंमि मए वच्छ तुज्झ को नाम पडिकूलो ॥ ८३ ॥ अवरं च तमेगागी पडिवालसु जाव पुत्तउप्पत्तिं । नूणं जं न मुणेमो वियंभियं विहिविलासस्स ॥ ८४ ॥ इय जंपिओवि न मुयइ वासपूजायां गन्धबन्धुरकथा ॥ ३९ ॥

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