Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 73
________________ चत्तारिवि एयाई सुदेवगुरुधम्मतत्तरूवाएं । नारयतिरियनरामरगईउ चउरो अवहरन्ति ॥ ४४ ॥ एयं पवयणसारं काउमसन्तो समग्गमवि भयो । एक्कंचिय जिणपूयं कुणंति भवा जिनिंदाण ।। ४५ ।। सधाओ वि य सत्तो काउं नेवज्जपूयमे| कंपि । कुतो दुक्कम्मं पाणी पडिहणइ सवपि ॥ ४६ ॥ भुज्जइ जंवा तंवा रविउदयत्थमणमज्झयारम्मि । दिज्जइ जिणस्स ता भो कयाइथोपि पुनकए ॥ ४७ ॥ पाविज्जइ परलोए अनंतमप्पंपि इहभवे दिनं । धन्नं ववियं थोवंपि फलइ तं नूण बहुगुणियं ॥ ४८ ॥ नियविहवसमुचिएहिं महुराहारेहिं मोयगाईहिं । जिणमञ्चन्ता सासयतित्तिं पावन्ति भणियं च ॥ ४९ ॥ "खणतित्तिएण लब्भइ नेवज्जेणं जमक्खया तित्ती । तं सासयसिव सुहतितिं तित्थनाहस्स माहपं" ।। १२५० ॥ ता जइ सासयसिव सुहतितिं वंछसि अहो महासत्त । ता कुणसु देवपूयं दाडं भत्तीए नेवज्जं ॥५१॥ सो आह अज्ज पत्ता चिंता| मणिकामधेणुकप्पदुमा | रंनम्मिवि जं जायं मह पहु तुहदंसणममोहं ॥ ५२ ॥ ता इहपरलोयहियं कहियं तुन्भेहिं जं तयं काहं । को नाम सिरिमुर्विति पहणइ पायप्पहारेण ॥ ५३ ॥ इय जंपिय नमिय मुणिं चलिओ संदणपुरम्मि संपत्तो । मोयाविय सालिप्पियवहुयं गहिउं तयं वलिओ ॥ ५४ ॥ गुरुवेयवाहणेहिं वदिणेहिं पि नियपुरे पत्तो । पणमित्तु मोयगा सासुयाए बहुयाए उवणीया ।। ५५ ।। तीए वि सयणभवणेसु पेसिया समुचियकमेणं ते । अहवा उचियायरणं कुलंगणाणं | कुलायारो ॥ ५६ ॥ बहुदुक्खेलानालियरक्खंडकप्पूरमिस्सिओ एगो । दिन्नो रणसूरस्सावि मोयगो माणयपमाणो ॥ ५७ ॥ बंधुरगंधं तं गिव्हिऊण लग्गो सगेहमग्गे सो । अंतो रमंतसद्धम्मपरिणई चिंतए एवं ॥ ५८ ॥ एएण भक्खिएणं जावजीवं न होहिही तित्ती । जाव मुद्दे ता सुरसो एसो पोट्टंगतो असुई ॥ ५९ ॥ ता इमिणा सुरसेणं भक्खेण करेमि | देवनेवज्जं । जं मह पच्छा दुलहो एवंविह उत्तमाहारो ॥ १२६० ॥ इय चिंतिऊण वलिउं चलिओ मग्गे जिनिंदभवणस्स । “अद्दव पमातो काउं किं जुज्जइ धम्मकम्मम्मि " ॥ ६१ ॥ गच्छंतो संपत्तो जिणालयं नियइ सुरविमाणंव । अनिलचलद्धय नैवेद्य पूजायां भुवन प्रमोदककथा

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