Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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नैवेद्यपूजायां भुवनप्रमोदककथा
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तिरियोहा ॥ ७॥ तीए सो नियइ वडाइवियडविडवीहिसंकडिल्लाए । खरतरणिनिहियनयणं आयावंतं मुणिं एगं ॥८॥ दिट्ठो य तेण उप्पाडियासिरोहो भडो तमभिहणिउं । जंतो भित्तीए इव खलिओ मुणिओग्गहमहीए ॥ ९॥ उग्गहमइक्क| मेउं अतरंतो चउदिसिं परिब्भमिरो। दितोब भत्तिजुत्तो पयाहिणाओ सुसाहुस्स ॥ १२१० ॥रे मुंड तुंडभंगं काउं तं निच्छएण मारिस्सं । इय जंपिरो मुणिं पणमिउं च पडिओ अहोवयणो ॥ ११ ॥ पडियं झडत्ति खग्गं मुकंव करेण दूरतरयम्मि । मुणिमारणअज्झवसायजायगुरुपावभीएण ॥ १२ ।। पच्छाहुत्तं वलियं बाहुजुयं साहुवहनिवित्तंव । गंतुमणीहंता इव पत्ता पाया सिरे तस्स ॥ १३ ॥ जातो गीवाभंगो रुहिरं नीहरइ तस्स वयणातो । अहवा जं चिंतिज्जइ परस्स तं अत्तणो एइ ॥ १४ ॥ उद्धढियंमि खग्गे उच्छलिओ सो तयग्गमारूढो। परिभमइ गुरुरएणं वंसारूढो नडनरोध ॥ १५ ॥ एत्थंतरे अणब्भा विजुब नहाओ झत्ति अवइंना । एक्का अमरी पिंजरियदिसिमुहा देहदित्तीए ॥१६॥ कुंडलकिरीडकेकरकडयहारोहसोहधरदेहा । तिपयाहिणिउं नमिउं च सा ठिया साहुणो पुरओ ॥१७॥ दट्टण तमच्छरियं रणसूरो मुणिसमीवमल्लीणो । पणमिय कयंजलिउडो उवविट्ठो समुचियट्ठाणे ॥ १८॥ एत्थंतरे निसंनो उस्सग्गं पारिऊण साहूवि । भणियं च देवयाए पुणरुत्तं पणमिऊणमिमं ॥ १९ ॥ पहु अहमिमाए अडईए सामिणी इह समागयेण तए । नूणं कया पवित्ता असमप्पसमेकरसिएणं ॥ १२२० । एसो हु पञ्चणीओ पावप्पा कोइ तुम्ह हणणत्थं । इंतो एवंविहिओ मए अदिस्साए खलिऊण ॥ २१ ॥ भणइ मुणी कयकरुणा देवि इमं मुयसु जाव नो मरई । उवसग्गगहणकज्जे आगच्छामो वयं जमिह ॥ २२ ॥ साहूणमलंकारो खंतिच्चिय देवि नो पुणो कोवो । उवसग्गपरे नूणं तीए विसओ जओ भणियं ॥ २३ ॥ जं खमसि दोसवंते सो तुह खंतीए होइ अवयासो। अह न खमसि को तुह अविसयाए खंतीए वावारो ॥ २४ ॥ मुत्तुं मुणिमज्जायं को थोपि जइ जई कुणइ । ता सुयतवाइ सबं निरत्थयं तस्स जेणुत्तं ॥ २५ ॥
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