Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 72
________________ श्रीअनन्तनाथचरि प्रादुदुतं वालमुलमा नैवेद्यपूजायां भुवनप्रमोदक पूजाष्टकम् कथा ॥३५॥ U LESS पढउ सुयं धरउ वयं कुणउ तवं चरउ बंभचेराइ । तहवि तयं सबंपिहु निरत्थयं कोववसयस्स ॥ २६ ॥ अम्हाण देवि एयं वयसबस्सं रिउमि कुविएवि । अक्कोसाइ कुणंते लाहोत्ति विभावणं जेण ॥ २७ ॥ अक्कोसहणणमारणधम्मभंसाण-15 वालसुलभाण । लाभं मन्नइ धीरो जहोत्तराणं अभावम्मि ॥ २८ ॥ अम्हाण मोक्खपुरपत्थियाणमेएण काउमारद्धं । साहेजमओ एसो उवयारी मुंच ता एयं ॥ २९ ॥ सोऊण साहुदेसणमसमप्पसमामयप्पवहसरिसं । रंजियहियया देवी पयंपिउं एवमारद्धा ॥ १२३० ।। धन्नोसि तुम मुणिरयण तिव्वतवतेयलद्धिजुत्तोवि । काउं खममिममवयारयपि मित्तं व मोइंतो ॥ ३१॥ एवं पसंसिय मुणिं अदिट्ठबंधाउ तं भडं मुत्तुं । धम्ममइ संजाया देवी सहसत्ति मुणिवयणा ॥ ३२ ॥ सोवि भडो पयलग्गो अवराह खामए नियं मुणिणो। "दूरपि पाणदाया पुज्जो अवरोवि उवयारी" ॥३३॥ भणइ य तइ सोमेवि हु सच्चविए कलुसियं मणो मज्झ । अमरकरे वि हु दिढे कमलं संकुयइ जमजोग्गं ॥ ३४ ॥ मारणपरे रिउ|म्मिवि तुह पहु हियए पवडिओ पसमो । दाहकरेवि निदाहे सीयं चिय होइ हिमसेले ॥ ३५ ॥ ता मज्झ देहि दिक्खं पावाओ इमाओ नन्नहा मोक्खो। “वेरग्गे जं न कयं नूणं तं दुकर पच्छा" ॥३६॥ तो से दिना दिक्खा मुणिणा देवीए अप्पिओ वेसो। धम्मुज्जयम्मि जइवा मूलं मोक्खस्स साहेजं ॥ ३७॥ नवदिक्खियं पसंसिय सहाणे देवया गया झत्ति । दट्टण तमच्छरियं भणइ मुणिं नमिय रणसूरो ॥ ३८ ॥ दुक्करदिक्खाए ते मज्झमसत्तस्स कहसु गिहिधम्म । "दिजइ न जओ दुद्धं रोइंमि रसाहिए अहवा" ॥ ३९ ॥ भणइ मुणी गयरायं देवं आयरसु उज्झिय सरायं । मुत्तूण कामधे' किं गिण्हइ गद्दहिं कोवि ॥१२४०॥ नाणालोए गुरुणो गिण्हसु रविणोत्व जयपवित्तकरे । परिहरिऊण कुगुरुणो वहलनिसीहेव तमबहुले ॥४१॥ अंगीकरेसु धम्मं सोक्खकरं दुहयरं चइय पावं । मुत्तुमजरमरममयं को मधुकरं गरं गिलइ ॥ ४२ ॥ कप्पदुमंव वंछियफलयं आयरसु उत्तमं तत्तं । किंपागं पिव संमोहकारयं मा पुण अतत्तं ॥ ४३ ॥ ॥३५॥ SELFISHES

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