Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

View full book text
Previous | Next

Page 70
________________ नैवेद्यपूजायां भीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् ॥३४॥ भुवन प्रमोदक कथा माणि पि पुरिसचरियकहं । कज्जेवि नरं नालवइ विहियगोवज्झमिव बाला ॥ ११९०॥ एवंरूवं दुहियं दट्टण विचिंतए खयरराया। कस्सेसा दायबा मए नरबेसिणी कन्ना ॥ ९१ ॥ दंसिज्जए इमाए जो जो सो सो वरो न पडिहाइ । आहारोब अरोयगरोगकंतस्स सबस्स ॥ ९२ ।। देववसा जइ जायइ सीलब्भंसो इमाए ता होइ । गोत्तम्मि गुरुकलंको पावमिमाए अकित्ती मे ॥ ९३ ॥ इय चिन्तासंतत्तो वुत्तो कन्ताए नरवई एवं । मा तम्मसु पिय पुच्छसु वरमइसयनाणिणमिमीए ॥ ९४ ॥ बहुमनियपियवयणो तणयं गहिउं गओ विदेहं सो। माणिक्कपुरारामे दट्टणं केवलिं नमइ ॥ ९५ ॥ उवविसिऊणं सोऊण देसणं पत्तअन्तरो नमिउं । पुच्छइ किं मह दुहिया पहु पुरिसवेसिणी जाया ॥ ९६ ।। तो भणइ विमलनाणी आयन्नसु राय कारणमिमीए । जेणेसा संजाया विद्देसपरा पुरिसविसए ॥ ९७ ॥ सालीणजणावासे रइरुवकुलंगणे जणियसोहो । हसियसरोवसरोहे सालिपुरामिहपुरे रम्मे ॥ ९८ ॥ अत्थि नयज्जियबहुधणदाणकयत्थी कयत्थिसंघाओ। सालिप्पियामिहाणो धणिप्पहाणो धणी विणई ॥ ९९ ॥ जुयलं ॥ अवरोवि खत्तिओ तत्थ | अत्थि रणसूरनामओ चाई । नवरं तणुविहवो "नो पायं चाइम्मि वसइ सिरी" ॥ १२०० ।। जओ-चाइयणकरपरं-- परंपरियत्तणजायगरुयखेयव । अत्था किविणघरत्था सत्थावत्था सुयंतिव ॥ १॥ तस्सोभयहावि पिया विणयवई नयपरा सुसीला य । ईसीसि साहिमाणा "अहव न दोसं विणा कोई" ॥२॥ भत्ता पियमणुवत्तइ पियावि पइणोणुवत्तए चित्तं । वद्धइ दोण्हवि पणओ "जइवा नेहो नयडाण" ॥ ३ ॥ सालिप्पियस्स कज्जाइं साहए सो वि देइ दवणं से । "न निओ वि कुणइ कजं मुहियाए किं पुनन्नजणो"॥४॥ ज किंपि लहइ कत्थइ समप्पए आणि पियाए सो। “पाणावि जम्मि देया तत्थ अदेयं किमवि नत्थि" ॥५॥ सालिप्पिएण कइयावि पेसिओ सो वहूए आणयणे । चलिओ संदणपुरनयरम्मग्गमणुसरिय संनद्धो ॥ ६॥ पत्तो अडईए वहुमयसत्ताए वि अमयसत्ताए। जीए सचित्तकाया अमाणसंगावि

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90