Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम्
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नैवेद्यपूजायां भुवनप्रमोदककथा
जुयाए ॥ ५३॥ वजंतवेणुवीणासराणुविद्वेण दिवराएण। हुंफियकंपियकुरलियमुद्दियकागलियरूवेण ॥ ५४॥ गुंजतमद्दलुद्दामपडुहुडुकाणुसरियतालरवं । गाएउं पारद्धं कुमारचरियं मिउसरेण ॥ ५५ ॥ तवेउमुवकंतं तम्मज्झा किंनरीए पवराए । मणिमयरसणारणझणिरकणयकिंकिणिकलावाए ॥५६॥ पसरावसरणभमिभमुहभंगकरणकमंगहारेहिं । नच्चइ सा करविन्नासवसपसप्पंतनयणेहिं ॥ ५७ ॥ निब्भच्छियमिउकलकंठकूइयं रायमालवेऊण । नवंती सा गायइ कुमरगुणे चंदकरधवले ॥ ५८ ॥ तन्नट्टगीयदिन्नावहाणिया कुमरपमुहसबसहा । जाया तदेवदिट्ठी अचलंगी चित्तलिहियच ॥५९॥ |पसरंतीए पसरंति उच्छलंतीए उच्छलंति समं । तीए जणनयणाई सययं सेवयकुलाई व ॥ ११६० ॥ अवहियहियओ जाओ रायसुओ तीए गीयनदे॒हिं । दाउमणो नियहारं तमच्छिसन्नाए वाहरइ ॥ ६१ ॥ तो सा चलिया रणझणिर| किंकिणी किंवि कंपमाणथणी । नवनेहरसभरालसनयणेहिं पलोइरी कुमरं ॥ ६२ ॥ सो विहु नियहत्थेहिं थणत्थले जाव ठावए हारं । ता तीए झत्ति आलिंगिऊण नीओ नहयलेण ॥ ६३ ॥ सहसच्चिय सेसोवि हु तिरोहितो किंनरीजणो सयलो । कुमरंगरक्खसंरंभभवभयुभंतनयणोच ॥६४॥ जावारोवियधणुहा धणुद्धरा तमणुपक्खिवंति सरे । जाबुच्छलंति तं पइ फारका खग्गवग्गकरा ॥६५॥ तीए ता रायसुओ नरनयणअगोयरे नहे नीओ। जाओ य गयच्छाओ परिवारो कुमरहरणम्मि ॥ ६६ ॥ गंतुं सहाए कहियं रन्नो मित्तेहिं कुमरअवहरणं । तं सोउं सो जातो मुच्छाए अचेयणो सपिओ ॥ ६७ ॥ सिसिरकिरियासमुवलद्धचेयणो रुयइ दुहभरकंतो। पागयनरोब सह पिययमाए सुयविरहविहुराए ॥ ६८॥ हा सूरकुमर हा धवलचमरवीइयसरीर हा धीर । वुड्डावत्थं मुत्तूण मं गओ कत्थ तं कहसु ॥ ६९ ॥ हा कुंददसण हा विगयवसण हा ईसिहसणपरिलसण । हा कोमलकेस हहा सुवेस हा रंजियसदेस ॥ ११७० ॥ हा जणयभत्त हा सारसत्त हा नायदेवगुरुतत्त । हा पुरिसरयण हा गरिमगयण हा अमियसमवयण ॥ ७१ ॥ को जाय तुम मुत्तुं पहाय
ज

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