Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 65
________________ मुच्छिया बाला । निवपुच्छिएण कहिओ केवलिणा तीए पुवभवो ॥ ११०० ॥ इय भणिय तेण सबं सवित्थरं साहियं नरिंदस्स । ता जा पुवभवुब्भवपिए कुमारेणुरता सा ॥ १ ॥ भणियं च खयरवइणा विवाहिउं पत्थियावि न तीए । | पडिवनं तवयणं कुमरं पइ जायरायाए ॥ २ ॥ तुह तणयअलाहविओयदाहदज्यंतगणवणा बाला । लहइ न सुहलवमवि जलिरजलणजालोलिकलियव ॥ ३ ॥ धाईए इव अरईए असुहत्थीए वयंसियाएव । दासीहिं व संगहिया कामुकलियाहिं सा दूरं ॥ ४ ॥ ता पहु पेससु कुमरं परिणयणकए कुरंगनयणीए । जह होइ जीवियं से “गुरूण दुहिए न | जमुवेहा " ॥ ५ ॥ रायाह सा सइथिय जा पुवभवप्पियम्मि अणुरता । सिविणेवि जं सईणं रमइ मणो नन्नरमणम्मि ॥ ६ ॥ इय भणिय समाइट्ठो कुमरो वीवाहिउं नरिंदसुयं । वच्छागच्छसु तो सो नमिय निवाणं सिरे धरइ ॥ ७ ॥ | सम्माणिऊण मंतिं संवाहिय नियसुओ समंतेण । चउरंगचमूचक्को पट्ठविओ हिट्ठहियएण ॥ ८ ॥ अणवरयकयपयाणो सो मणिमंदिरपुरंमि संपत्तो । “ठाणं चलिरो मंदोवि पावए किं न सिग्घगई" ||९|| पट्टओय ( पत्तोय) वत्थकयहट्टसोहगुरुमं चतोरणधयम्मि | रायगरुहो रन्ना रिद्धीए पवेसिओ नयरे ॥ १११० ॥ आवासिओ समप्पियपासाए कणयकलसकमणीए । नरवइकारावियभोयणाइगुरुगोरवमहग्घो || ११ || लग्गदिणे हयगयठियसामंतावेदिओ गयारूढो । छत्तद्धयचामरचय| रायालंकारकमणीओ ॥ १२ ॥ वज्जिरजयआउज्जो पत्तो वीवाहमंदिरदुवारे । रइयायारो पविसिय उवविट्ठो कनयापासे ॥ १३ ॥ इट्ठ से सीए करं करेण गहिउं पयाहिणियजलणो। उवविसिय रायकुमरेहिं तयणु सम्माणिओ लोओ ॥ १४ ॥ तो नियकलत्तकलिओ चलिओ चडिउं करेणुरायम्मि । रिद्धीए नियाबासे पत्तो कीलइ सह पियाए ॥ १५ ॥ ससुरयसम्माणुम्मी लमाणतोसो दिणाण दसगं सो । तत्थच्छिय नमिय निवं सकलत्तो नियपुरे पत्तो ॥ १६ ॥ रन्ना रिद्धीए पुरे सहट्टसोहे पवेसितो कुमरो । नवपरिणीयं पुत्तं मोत्तुं को गोरवद्वाणं ॥ १७ ॥ पणओ पिउणो पथसयदलम्मि दीपकपूजायां भुवनप्रदीपकथा

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