Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ अनन्त० ६ ॥ ६४ ॥ इय जायपंचकल्लाणमवि पहुं थुणिय चत्तकल्लाणं । मन्नेमिचंदपहुनय भवसायरतिन्नमत्ताणं ॥ ६५ ॥ सेट्ठिस्स पक्खवाओ जिर्णिदभत्तीए तेसु संजाओ । “अहवायरो गुरूणं सगुणे विगुणे पुण उवेहा " ॥ ६६ ॥ पुणरुत्तं पणयजिणो अकिंचणो सेट्ठिणा सभज्जोवि । नेउं नियभवणे दिन्नबहुघओ पेसिओ सगिहे ॥ ६७ ॥ तम्मिवि भवम्मि जिणभत्तिभावओऽकिंचणो धणी जाओ। “अहव न तं कल्लाणं जिणपूयाए न जं होई" ||६८॥ कइयावि आउअंते मज्झिमपरिणामओ मरिय जातो । भुवणप्पईवनामो पुत्तो निवकुलपईवस्स ॥ ६९ ॥ तेणेवय भावेणं तब्भज्जा मरिउमेत्थ उप्पन्ना । एसेवय तुह तणया जिणदीवयपूयपुत्रेण ॥ १०७० ॥ इह पत्ता मं पेच्छिय जाईसरणेण मुच्छिया एसा । निव पुच्छियं तए जं तं मुच्छाकारणं कहियं ॥ ७१ ॥ नमिय गुरुं भणइ सुया रिद्धी पहु तुह पसायओ एसा । मह सपियस्सवि जाया "किंवा न हवइ गुरुपसाया" ॥ ७२ ॥ सोऊण कुमरिचरियं जिणपूयाकयमई जणो सबो । रायाइओ गुरूणं नमिय नियद्वाणमपत्तो ॥ ७३ ॥ नयकेवलिकमो नहयरेसरो मणिविमाणविंद्रेण । नंदीसरंमि पत्तो वलिओयऽभिवंदिय जिणंदे ॥ ७४ ॥ नवरं रायसुयादंसणा अणुरायभरपरायत्तो । निवपासे संपत्तो पणयपरो पत्थए कंनं ॥ ७५ ॥ रायाह | नहयरेसर जुत्तमिणं किंतु पुच्छिमो कन्नं । “जावज्जीवियकज्जे काउं जुत्तो न उवरोहो" ॥७६॥ तो वाहरिया पत्ता निवंतियं रइयरम्मसिंगारा । बाला लीलालससरललोयणुल्ला सलसिरमुही ।। ७७ ।। काउं पसायमाइसह ताय इय भणइ | पिउकमे नमिउं । तो से सायरखयरिंदपत्थणं साहए राया ॥ ७८ ॥ सा आह ताय लग्गइ अंगे सोहग्गसंगओ सो मे । पुबभवुब्भवभत्ता अग्गी वा इह भवे नन्नो ॥ ७९ ॥ नायसुयाअणुबंधो सम्माणिय नहयरं विसज्जेइ । सोवि गतो बेयड्डे "निक्कज्जं किं विएसेण” ॥१०८०॥ चिंतइ नहयरनाहो हिययगया दूमए मयच्छी मां । विरहजरजलणजालाजलि - रंग न (त) इभल्लिव || ८१ ॥ सा मं न मन्नइच्चिय ठाउमसत्तो न तं विणाहमवि । ता हरणमेव जुत्तं महनिवतणयाए दीपक पूजायां भुवनप्रदीपकथा

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90