Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 64
________________ H श्रीअनन्तनाथचरि- त्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् दीपकपूजायां भुवन प्रदीपकथा ॥३१॥ इहिपि ॥ ८२ ॥ अहवा किं हरणेणं सइ कुमरे तंमि मह न सा होही । तसं पछंभ चिय हणेमि इय चिंति झचि ८३॥ एगोच्चिय निसि निग्गंतुमुवगओ कुमरवासभवणंते । मारणमईए अहवा "इत्थीलुद्धाण किमकजं" ॥ ८४॥ तिसिरदुवालसभुयएकतणुलयारद्धपेच्छणयच्छउमा । तमिहाणीओ तेणं मंतेणुग्घाडिय पओलिं ॥ ८५ ॥ तो सहसा संजातो सुहडो आयड्रियासिदुद्धरिसो। साहिक्खेवं रइयम्मि रणभरे सो जितो तुमए ॥८६॥ "जे सत्थप्पडिकूला जे वा वीसत्थघाइणो कुडिला । नियमेण पडंतिच्चिय ते पुरिसा पावपहरहया" ॥ ८७ ॥ ता कुमर सो अहं नियदयाए हणणारिहोवि जो तुमए । मुक्कोत्ति मए कहिओ तुह पुरओ निययवुत्तंतो ॥८८॥ इय जह खयराओ सुयं तह कुमरेणावि जाइसरणेण । सबंचिय सञ्चवियं सिविणयदिटुंव तवेलं ॥ ८९ ॥ भणियं च खयर तुमए जह कहिओ तह मएवि पुत्वभवो। दिहो जाइस्सरणेण तयणु तं खेयरो भणइ ॥१०९० ॥ ता चलसु तुम मुत्तूण मंदिरेहमवि जामि सट्ठाणे। इय जंपिय तमणुट्ठिय नहयरनाहो गओ सपुरे ॥ ९१ ॥ परिभावियपुवभवप्पियाणुरायप्पइन्नकरणस्स । | उम्मीलिओ महंतो अणुराओ रायतणयस्स ॥ ९२ ॥ चिंतइ तेञ्चिय धन्ना जेसिं नियवल्लहेहिं जुत्ताण । विविहविलासेहिं मुहुत्तमेत्तमिव जंति दिवसाइं ॥ ९३ ॥ जह जाइ वल्लहजणे मणो तहा जइ तणूवि वञ्चन्ती। ता नूण न हुंतं चिय | कस्सइ तबिरहविहुरन्तं ॥ ९४ ॥ नूणं जागरणाओ विरहीण वरं समेइ जइ निदा। जा दूइयव वल्लहसंजोगं कुणइ सहसत्ति ॥ ९५ ॥ कामुक्कलियाउ मणे नयणेसु अलद्धलक्खया जाया। दाहो देहे वल्लहअलाहओ तस्स चिन्ताए ॥ ९६ ॥ वल्लहविरहविणोयप्पारद्धयाइकीलकिरियस्स । गच्छन्ति वासरा विरहियस्स कुमरस्स किच्छेण ॥ ९७ ॥ एत्थंतरंमि पत्तो कुमरिपिउपेसिओ महामंती । अत्थाणत्थं निवई नमिउं विन्नवइ विणएण ॥ ९८॥ पहु मणिमंदिरनयरे पयावसारोत्ति नरवई अस्थि । दीवपहामलदेहा दीवपहाभिहसुया तस्स ॥ ९९ ॥ पत्ता केवलिपासं जाईसरणेण | SANS-SHASज SSUESTHA ॥३१॥ नमत

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