Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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जलपूजायां जलसारकथा
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सुवन्नतारसारावि । सिंग्यपि खयं पत्ता गिम्हसमुन्भूयरयणिव ॥ ६८ ॥ अत्थजणदु बुद्धी दिना दिवेण मज्झ रुद्वेण ।। किं देइ करचवेडं कयाइ कुविओ विहिविलासो ॥६९ ॥ किविणाण चकवट्टी जाओहं सबहा जओ न मए । दवचओ विरइओ सुपत्ततित्थेसु धणिणावि ॥ ५७० ।। किं सायरतरणधणजणं विणा मज्झमासि न वहतं । जं मे गया सिरी जीवियपि संदेहमणुपत्तं ॥ ७१ ॥ पत्तावि पलइच्चिय अपुन्नवंताण निच्छियं लच्छी । किमभग्गगिहल्लीणा होइ थिरा कामदुधेणू ॥ ७२ ॥ सुकुमालतणू पेम्मेक्कमंदिरं विमलसीलकलियंगी। कह सहिही मह कन्ता कयत्थणं रायभडज|णियं ॥ ७३ ॥ नूणं न मए रम्मो धम्मो विहिओ भवंमि पुबिल्ले। जमहं विडंबणाडंबरं इमं इह भवे पत्तो ॥ ७४ ॥ तत्थ गमणुस्सुतोवि हु गच्छामि कहं उवायहीणोहं । कहमकमचंकमणो पंगू वंछियपुरं जाइ ।। ७५ ॥ जइ जामि तत्थ लञ्छि ता निवघत्थंपि नूण वालेमि । गुरुविसवेगविलुत्तंपि चेयणं मंतवाइव ॥ ७६ ॥ इय तस्स धणविणासासुहियस्स निसा ठिया पहरसेसा । पुत्ताण गमणठाणाणि कहिय गच्छंति भारुंडा ॥ ७७ ॥ जो चलिओ तन्नयरे पाए सो तस्स दढयरं लग्गो। उड्डीणो भारुंडो मणनयणजवेण जाइ नहे ॥ ७८ ॥ नवरं सो विहिविलसियवसेण विच्छुट्टि-- ऊण तप्पाया । पडिओ समुद्दसलिले विमुहविही कुणइ नो किं वा ॥ ७९ ॥ मजंतेणं तेणं जिणगुरुचरणाण सुमरियं 5 सहसा। तस्साणुभावओ मरिउमञ्चुए सो सुरो जाओ ॥ ५८० ॥ कालेण चारणस्समणतग्गुरू तंमि चेव कप्पम्मि । जातो सुरो वहा पुत्वभवभवो ताण नेहोवि ॥ ८१ ॥ नाऊणं नियचवणं तेणुत्तो गुरुसुरो सुही एवं । पत्ते मणुयत्ते में पडिबोहेजसु तुम मित्त ॥ ८२ ।। पडिवन्नं तेण तयं तो सो चविऊणमेत्थ वेयड्डे । खयरिंदसुओ जाओ चलिओ य पकीलिउं एत्थ ॥ ८३ ॥ एत्थंतरे मए सुरसुहसंगविमोहओ बहुदिणेहिं । सरिया पुवभवदुगपडिबोहब्भत्थणा तुज्झ ॥८४ ॥ तो भडधडसिररणसरहरूवप(पभईय)विरइयं पच्छा । नियसाहावियरूवं तुह विन्भमकारणे कुमर ।। ८५ ॥

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