Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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दीपक
श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम्
पूजायां भुवन
प्रदीपकथा
॥२५॥
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मणो । समयविहिणा मुणिंदेण दिक्खिओ विहिय सिरलोयं ॥ ६९ ॥ गहणासेवणसिक्खाकहणते नहयरेसरो नमिठं । पुच्छइ किं वेरग्गं जमिमो मुणिनाह पवइओ ॥८७० ॥ आह पहू आयन्नसु खयराहिव अत्थि एत्थ नयरम्मि । असमप्पयावसारो पयावसारोत्ति नरनाहो ॥७१॥ अवरं च एत्थ निवसंति दोन्नि दुन्नयपराओ महिलाओ। एक्काए पवंचमई नाम बीयाए पुण कुमई ॥ ७२ ॥ भज्जावईण विहडियपेम्माण कुणंति पेम्मसंधाणं । अञ्चंतसुघडियाणवि तं विहडावंति अन्नेसिं ॥ ७३ ॥ उच्चाडणविट्टेसणथंभयवसियरणमारणाईसु । पावकिरियासु सययं वटुंति पमोयपुंनाउ ॥ ७४ ।। कइयावि दोवि दुन्नयजायत्थारूढगरुयगबाओ । रिउसेणाओव सज्जियसराओ विवणीए मिलियाओ ।। ७५ ।। अन्नोन्ननिण्हवुप्पंनमंतुवसविहियगुरुविवायाणं । ताण सयासे मिलिओ बहुओ लोगो कुतूहलओ ॥७६ ॥ महफाडियं न सक्को वि संद्धेउ तरइ इइ कुमइभणिये । इयराह तहा सीवेमि जह न से होइ संधीवि ॥ ७७ ॥ इय विवयंतीओ जणेण ताओ नीयातो मंतिसंनिज्झे । विनायवइयरेणं तेणवि नरवइसमीवंमि ।। ७८ ॥ नाऊण तप्पइन्नं राया विम्हिअमणो | पयंपेइ । कुणह इममिक्कवारं एयत्थे तुम्हमभउत्ति ॥ ७९ ॥ कुमई जंपइ दिणपंचगस्स मज्झमि फोडिइस्सामि । सीविस्सामि तमियराह पहु अहोरत्तमज्झवि ॥८८०॥ इय विरइयप्पइन्नाओ ताओ नमिउं निवं दुयं दोवि । कयजणअच्छरि-5 याओ पत्ताओ नियनियगिहेसु ॥८१॥ कुमईए चिंति एत्थ अत्थि सुप(व)सुरित्थवित्थारो। नामेण अत्थसारो गरिट्ठसिट्ठी सरल दिट्ठी ॥ ८२ ॥ नाययरो बहुलाहो वि कित्तिसारोत्ति अत्थि तस्स सुओ। उज्जलमाणसमुत्तिअपत्तसंतावलेसोवि ॥ ८३ ॥ नवजुब्बणुल्लणाए अभग्गसोहग्गसंगयंगीए । कंतिमइए पियाए सह विलसइ सो सया सुहिओ ॥८४॥ नवरं कंतिमईए सरूवसिंगारगरुयगवाए। आलवियाए वि अहं न नया संभासियाविय नो ॥ ८५ ॥ ता तप्पइणो कीएवि कुरंगनयणीए सह विहिय घडणं । साहेमि निवस्स जहा तीए महंतं दुहं होइ ॥ ८६ ॥ तप्पइणो पुण अयसो
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