Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 54
________________ दीपक श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् पूजायां भुवनप्रदीपकथा 15555555HRSH तस्सहीहिं मह दंसिया तओ तीए । तं साहियं समग्गंपि तो अहं एत्थ संपत्ता ॥४॥ ता सुहय तुज्झ संगमआसच्चिय धरइ जीवियं तीए। अवहीरियाए तुमए मरणंचिय जेणिमं भणियं ॥ ५ ॥ "दूरयरदेसपरिसंठियस्स पियसंगमं वहंतस्स । आसाबंधोच्चिय माणुसस्स परिरक्खए जीयं" ॥ ६॥ ता मह उवरोहेणं अहवा तज्जीवियवकरुणाए । तं सरसु एक्कवारं दक्खिन्नदयाओ जं गरुए ॥ ७॥ इय जंपती दंतग्गधरियपंचंगुलं नमिय तस्स । तच्चरणमिलियभाला ठिया चिरं चिंतइ तओ सो ॥ ८ ॥ अकलंक मज्झ कुलं सावि पुणो पोढराइणी बाला । एसा वि विणयपणयाज | किं काउं जुज्जए ता मे ॥९॥ एगत्य अकज्जभयं अन्नत्तो मरइ सा मए मुक्का । पासद्गेवि वलग्गइ डमरुयगंठिब मज्झ मणं ॥ ९१० ॥ होयत्वं तं होउ ताणुरत्ताए विरहविहुराए । काहं समीहियमहं इय चिंतेउं तओ तेण ॥११॥ वज्जेउ मज्जायं मयलेउं निम्मलं जसप्पसरं । मोत्तुं कुलाहिमाणं अणुसरिऊणं कुसीलत्तं ॥ १२॥ चइऊणं सच्चरिय अंगीकाऊण नरयगइगमणं । उज्झेउं सद्धम्म भणियं जं भणसि तं काहं ॥ १३ ॥ तं सोउं तीउत्तं एसो विहिओ महापसाओ मे । इय जंपिऊण पत्ता पासंमि धणावलीए सा ॥ १४ ॥ तं पइरिक्के काउं पयंपए सुयणु सुणसु वयणं मे । सा आह अंब जं किंपि जंपियवं तयं भणसु ॥ १५ ॥ तीयुत्तमत्थि इह अस्थिसत्थपविइन्नअस्थिवित्थारो। नामेण कित्तिसारो पुत्तो वणिअत्थसारस्स ॥ १६ ॥ रूवेण मयणमुत्ति कंतीए कलावई मईए गुरुं । सकं सिंगारेणं जो जिणइ धणेण धणयंपि ॥ १७ ॥ तेण तुमं सच्चविया नियमंदिरमत्तवारणासीणा । लीलालोयणलोयणजोण्हाभरपूरियदियंता ।। १८॥ दिहाएवि सुयणु तए मयणसरप्पयरपहरजजरिओ। भवणम्मि कहंकहमवि संपत्तो सो अणुप्पहसो ॥ १९ ॥ तं विरहज्जरविहुरं दहइ जलद्दावि जलणजालव । संताविति ससिकरा खयरंगारव तस्स तणुं ॥ ९२०॥ एमेव हसइ बालोब नियइ सुन्नं पिसायगहिउव्व । नच्चइ गायइ पलवइ मइरामयमत्तमुत्तिव ॥ २१॥ सबप्पणा पराय

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