Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 53
________________ दीपकपूजायां भुवनप्रदीपकथा 125555555555555SSSSHALIFE संतोसो मज्झ निवइणो दविणं । "अहव कयावन्नाणं अणत्थउप्पायणं सस्सं" ॥ ८७ ॥ ता एत्थ धणिधणेसरतणया तरुणी धणावली नामा । असई सयंपि ता तग्घडणं सह तेण काहामि ।। ८८ ॥ इय चिंतिय तवेलं पत्ता सा कित्तिसारसन्नेज्झे । काऊण तमेगंते जंपए महुरक्खरगिराए ॥ ८९ ।। सुहय तुमं पइ जंपेमि किंपि मा कुणसु पत्थणं विहलं । सो जंपइ ता संपइ साहसु सा भणइ निसुणेसु ॥ ८९० ॥ इह अत्थि धणेसरसेट्ठिणो सुया कमलकोमलोरुजुया । नियरूवनिजियरई नामेण धणावली बाला ॥ ९१ ॥ नियभवणमत्तवारणगयाए तीए कयाइ सच्चविओ। आगछन्तो तं रम्मरूवजियरइवइविलासो ॥ ९२ ॥ सिंगारसस्ससमवयवयस्ससंदोहसोहियउर्वतो। उत्तमउत्तुंगतुरंगवग्गणक्खणिय-15 मणवित्ती ॥ ९३ ॥ अनिलंदोलणविलसिरसिहिपिच्छच्छत्तजायछायसुहो । हेलाए कीलयंतो जंपाउंपाहिं हयरयणं ॥१४॥ चलसरलधवललीलालसलोयणजुयलबहलजोण्हाए । परमामयवुढिपिव विकिरंतो सेमहरं तुरए ॥ ९५ ॥ सियसोणसाममणिमयभूसणसयभूरिकिरणनियरेहिं । रयणाभरणेहिं पिव अलंकरंतो तुरंगपि ॥ ९६ ॥ दळूण तुम उम्मीलमाणनवनेहनिद्धनयणेहिं । आदिट्ठिपहं अवलोइओ बहुं तीए अवियण्डं ॥ ९७ ॥ सोहग्गरयणरोहण संमोहणमयणबाणसम तुमए । दिट्ठिपहाइक्कते वियंभिओ तीए विरहभरो ॥ ९८ ॥ चिंतंमि तुम चित्ते तुहागिई तुज्झ नाममालवणे । सिविणे समागमो ते सा बाला तम्मई जाया ॥ ९९ ॥ विरहानलजालावलिजलिरसरीराए तीए पारद्धो। संसुवयंसीहिं सयं सययं सिसिरोवयारभरो॥ ९००॥ सतडकारं हारे तणुतावेणं फुडंति मुत्ताओ। सिमिसिमिय सुसन्तिच्चिय नवकुवलयनालमालाओ ।। १॥ घणचंदणागुरुरसछडाउ छंकारपुश्वगं तीसे । तचंगसंगमेणं लग्गंतीओ वि परिसुसंति ॥२॥ गोसावयस्सायस्संदिसाहिसेणिव मुयइ अंसूणि । भंजइ देहं जिंभाउओ भयइ परिभमइ एमेव ॥ ३ ॥ एवमवत्था सा हयरयणं रंपझंपाहिं पाठांतर. २ स मणहरतुरए पाठांतर. HTHANEYASHHHH

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