Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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दीपक
पूजायां
भुवनप्रदीपकथा
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तुमए असईवेसो नियसियवो ॥ ५७ ॥ ठायचं पइपासे होइ अणत्थो जहा न से गोसे । अप्पियनियनेवत्थं मह पासे पेसियवा सा ॥ ५८ ॥ इज जंपिऊण चलिया खलिया य भडेहिं इय भणतेहिं । लब्भइ न इह पवेसो रायाएसो जतो एसो ॥ ५९॥ एत्थ पविट्ठो चिट्ठइ रुद्धो असईजुतो नरो कोई । ता पूइजह गोसे देवयमिहि पुणो वलह ॥ ९६० ॥ तो तेसि पवंचमई वियरइ सन्वेसि कुसुमतंबोले । “दूरे इयरे थट्टा वि हुँति दाणेणमणुकूला" ॥ ६१ ॥ पुन्नं मह दुहियाए | उवजाइयमेत्थ तो इमा पत्ता । "अवरावि पूयणिज्जा देवी सप्पञ्चया किन्नो" ॥६२॥ अज्ज इमाए तइज्जो उववासो आसि जं इमं वणियं । ता तुन्भे करुणाए एक्कमिमं चिय पवेसेह ॥६३॥ जइ अज इमा अच्चइ न देवयं ता न भुंजए नूणं । ता मुत्तुमिमं एयाए जीवियत्वं पयच्छेहु ॥६४॥ एत्थ ठिआ वि अम्हे भत्तिं देवीए गीयनदे॒हिं । पयडिस्सामो पसिउं ताप कुणह इमंति तीउत्तं ॥६५॥ तो ते दक्खिन्नदयाहिं पेरिया बिति भइणि तं चेव । एका गंतुं पूइत्तु देवयं झत्ति निग्गच्छ ॥६६॥ तं सोउं कंतिमई पूयापडलं करे कलेऊण । देवउलम्मि पविट्ठा ठिया अणुट्ठिय जहुदिह ॥६७।। नच्चणगाणबग्गाण ताण रमणीण पासमणुपत्ता । कंतिमईनेवत्थप्पच्छाइयतणुलया असई ॥६८॥ वजिरवद्धावणया वलिंउ पत्ता पोलिदे सम्मि । रूवय-अद्धं दाउं विसजिया तूरिया तुरियं ॥६९॥ पहसंतीउ पविट्ठा पुट्ठाओ पउलिरक्खयभडेहिं । किं नो वजइ तूरं पढइ इमं तो पवंचमई ॥९७०॥ अट्ठह तेत्तउं वजइ जेत्तउं पोलिहि बारु । अइरुद्धो वि न रुब्भइ सहुं परिणिए भत्तारु ॥७१॥ रायसमीवंगीकयपुन्नपइन्ना अईव सा तुट्ठा । "थोवावि कन्जसिद्धी तोसकए किं पुण न बहुया" ॥७२॥ पुरमज्झमागयाओ विसजए सा सहीओ सबाओ। "सिद्धप्पओयणाणं किं कजं जणसमूहेण" ॥७३॥ वद्धाविऊण सेटिं गंतूण निए गिहमि सुत्ता सा । "निश्चिंताणं निद्दा जायइ जइवा किमच्छरियं" ॥७४॥ सूरुग्गुमसमयम्मि वि संनझंतम्मि तम्मि
(पाठांतर-अइ इटेवि न लब्भइ सहुपरणिए भत्तारु ।)
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