Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 50
________________ श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् दीपकपूजायां भुवनप्रदीपकथा ॥२४॥ 95595959555559595959555555HISHES गहबाहुबंधकरघायजज्जरियदेहा । निवडंत्ति दडत्ति झडत्ति उहिउँ पुणरवि भिडन्ति ॥ ३३ ॥ निदुरकुमारपायप्पहारवच्छय(त्थ)लताडिओ सुहडो। पडिओ धसत्ति घुम्मन्तनेत्तओ भूमिवट्ठम्मि ॥ ३४॥ तो तब्भुयजुय उवरिं दाउं नियपयदुर्ग धरियकेसो । घेत्तुं धराए छुरियं जा तस्स सिरं लुणइ कुमरो॥ ३५॥ ता तेण नमो अरिहंताणं इच्चाई पंचपरमेट्ठी। सरिया असारसंसारसायरुत्तारणतरिव ॥ ३६॥ तं सोउं हा हा हा साहम्मियमारणे महापावं । काऊण नूण नरए उप्पयंतो दुहोहेहं ॥३७॥ इय जंपिरेण खामिय मुक्को सहसत्ति निवसुएण भडो। “अइकुवियाणवि करुणा जायइ जइ वा कुलीणाण" ॥३८॥ सो चिंतइ नररयणं एसोजमणेण मारणपरोवि। मुक्को वेरीवि अहं "गुरूण गणणा न रिउकीडे॥३९॥ होइ न सिरम्मि सिंगं अहमाणं उत्तमाण य नराण । किंतु अकजे कजे य ते मुणिज्जति वटुंता" ॥८४०॥ एएण जीवियचं दाउं दिन्नं समग्गमवि मग्गं । जायइ रजाईणं जं जीवंताणमुवओगो ॥४१॥ भुवणम्मिवि उवयारो न पाणदाणाओ सम| हिओ अत्थि । पचुवयरिउमसत्तेहिं निण्हविजइ न सो जेण॥४२॥ थेपि हु उवयारं मंनइ पुरिसो गिरिंदगरुययरं । निण्वइ खलप्पयई पुरिसो उवयारलक्खंपि ॥४३॥ ता आराहेयवो एस मए देवयव सुगुरुत्व । जणउब जाव जीवं परोवयारप्पसत्तमणो ॥ ४४ ॥ इय चिन्तिय उठेउं पणमिय तं पायपउमजुयलग्गो । जंपइ मह अवराहं खमसु महायस कयपसाओ ॥ ४५ ॥ जइ न तुम मुंचतो संपइ मं पुरिसरयण हुँतो हं। ता मंसगिद्धगिद्धाइयाण भक्खं छुहंताण ॥४६॥ इहि तं चिय सरणं आमरणं तंपि मज्झ वज्झोवि । जमहं न हओ तुमए करुणारसपूरियमणेण ॥ ४७ ।। दुटुं तं खामंतं जंपइ कुमरो अहो महासत्त । तुमए विवेइणावि हु किमिममवेरेवि पारद्धं ॥४८॥ जो जिणमए थिरमणो सुमरइ मरणंमि पंचपरमिटिं । तस्सेयारिसनिग्घिणकम्म जायइ अहो चोज ॥४९॥ जइ मह कहणिज्जमिणं सुपुरिस उवविसिय कहसु ता एत्थ । अब अकहणिजं ता अच्छउ हियइच्छियं कुणसु ।। ८५०॥ सो भणइ जस्स तणया पाणावि ॥२४॥

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