Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम्
दीपकपूजायां भुवनप्रदीपकथा
॥२३॥
धूवुब्भवपूया जाया एयस्स मोक्खसोक्खकए । तह अन्नस्सवि जायइ ता भवा तीए उज्जमह ॥९८॥ धूपपूजा 35555 एसो हु धूवपूयाए साहिओ धूवसुंदरो इहिं । भुवणप्पईवनिवई दीवयपूयाए निसुणेह ॥ ५९॥ 95 फफफ
उल्लसियरायसिरिकरणसुंदरं ललियविलयपरिकलियं । अस्थि सरग्गामजुयं गीयंपिव भुवणविजयपुरं ॥ ८००॥ कलहसियरायभवणं कलहसियविरायमाणसुयणं जं। कलहरियरहियसलिलं कलहरियउत्तप्पहीणजणं ॥ १ ॥ पूरिय पउरपयासो सवुत्तमनिद्धपत्तआहारो। दीवोब महीनाहो कुलप्पईवोत्ति तत्थत्थि ॥ २॥ सरहोवि विउलवच्छो विदीहबाहोवि विलसिरगओवि । सारंगोवि न तिरिओ उत्तमपुरिसोच्चिय सया जो ॥ ३॥ गोरीवि अभीमपिया सायरतणयावि अजडसयणसिया । तस्सत्थि धारिणिपिया सईवि जाणिंदपियभोया ॥ ४ ॥ तीए समत्थि परिपंथिहत्थिकुलदलणकेसरिकिसोरो । भुवणप्पईवनामो कुमरो गिरिसोब गुरुकित्ती ॥५॥ अपवउदयजुत्तो अब्भसिअकलोय बीयचंदोब । जो नवरति(वि)व पुवाभासी जयजणसुहकरो य ॥ ६ ॥ समवयवसालंकारसारसामंतमंतिपुत्तेहि । सद्धिं बंधुरकीलं कुछतो गमइ कालं सो ॥ ७ ॥ कइयावि कसिणअट्ठमिनिसीहसमयंमि जग्गए जाव । तो आयनइ आउज्जतालगीयस्सरं कुमरो॥८॥ तस्सरमणुसरमाणो दिहिँ पक्खिवइ मुक्पल्लंको । नियइ दुवालसभुयं पेच्छणयपरं नरं तिसिरं ॥ ९॥ दोहिं करेहिं पडहं दोहिं मुइंगं च दोहि तालाओ । वीणं दोहिं वंसं च दोहिं हत्थेहिं | वायंतं ॥ ८१० ॥ नट्टवसुवेल्लिरभुयकरजुयविन्नाससंचरं तत्थ । घणमणिकुंडलमंडियमहिलाएक्काणणसणाहं ॥ ११॥ बीएण मणोमयरायवासणावसविमुक्काफुक्केग । रमणीमुहेण वंसं वायंतेणं विलसमाणं ॥ १२ ॥ तइएण महुरसरगाममुच्छणाजणियसवणजुयसोक्खं । उग्गायतं गीयं मज्झट्ठियपुरिसवयणेण ॥ १३॥ 'कुलयं ॥ इय अञ्चब्भुयअद्दिद्वपुवपेच्छणयपेच्छणुत्तालो । वंचित्तु पमत्ते अंगरक्खभडचेडपमुहनरे ॥ १४ ॥ नवमेहडंबरवरपावरणालक्खि
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॥ २३ ॥
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