Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 33
________________ तम्मि पविट्ठो सो नियइ निरुवमं रिसहसामिणो बिंबं । उम्मीलियभत्तिव सुल्लसंतरोमंचकंचुइतो ॥ ३२ ॥ नमइ य तं भारतलग्गमिलियम हिमंडलो पहरिसेण । रइयकरजुयलकोसो नियइ य नाह अणिमिसच्छो ॥ ३३ ॥ एत्थंतरम्भि एगो चारणसमणो नहेण संपत्तो । कयतिप्पयाहिणो रिसहसामियं थोउमादत्तो ॥ ३४ ॥ तिहुयणगुरुणो सिरिरिसहसामिणो नमियपायसयवत्तं । कयकर कोसो आनंदअंचिओ संथवं काहं ।। ३५ ।। कणयच्छविणो अंसावलंबिणो कसिणकुंतला तुम्भ । मंदरगिरिणो पंडगतमालतरुणोब रेहति ॥ ३६ ॥ जे सामिसाल तुह पयलीणा दीणावि ते नरा दूरं । भवताववज्जियंगा विलसिरपमालया हुंति ॥ ३७ ॥ मइयओहीमणपज्जवाणि तुह केवलम्मि मग्गाणि । तारयनक्खत्तग्गहससिणोब सहस्सकरते ॥ ३८ ॥ तं सामि समवसरणंमि सोहसे रइयरम्मचउरूवो । नारयतिरियनरामरच उगइजणबोणत्थं व ॥ ३९॥ रायाणं रंकाण य धम्मुवएसं तुमं समं दिससि । किं जयमुज्जोयंतो मेच्छकुलाई चयइ सूरो ।। ५४० ।। तुह मिलणे मह | जाओ बहुमाणव सेण रम्मरोमंचो | घणसमयंमि कयंबस्स सबओ कुसुमनियरो ॥ ४१ ॥ इय नीइचक्कसि रिनेमिचंदमुणिनानमियपयपम । जह जाया तुह सिद्धी तं तह मज्झवि पहु पयच्छ ॥ ४२ ॥ इय थोडं रिसहजिणं उवविट्ठो तयणु चंदतेओ से । पणमिय कथंजलिउडो उवविसिओ भणइ मुणिमेवं ॥ ४३ ॥ भयवं नरत्तनियजम्मजीवियद्वाण वसणठाणाण । देवगुरुदंसणेणं मन्ने अज्जेव सहलत्तं ॥ ४४ ॥ ता पहु मह कहसु अवत्थसमुचियं धम्ममह कहइ साहू । पूइज्जइ एस पहू अट्ठपगाराहिं पूयाहिं ॥ ४५ ॥ तहाहि । नेवज्जगंध अक्खयदीवय फलसलिलकुसुमधूवेहिं । जिणपूया भत्तीए रइया विरइ सिवसुहाई ॥ ४६ ॥ दूरे धणक्कयुब्भववा सप्पमुहाउ सत्तपूयाओ । एक्कावि मुहा लब्भा जलपूया हरइ संसारं ॥ ४७ ॥ जओ । जलभरियपत्तमेत्तो संसारमहोयही फुडं तस्स । जो ठवइ जिणस्स पुरो सीयलजलपूरियं पत्तं ॥ ४८ ॥ फलिद्देण व सच्छेणं अमएणव साउणा जिणवरिंदं । सीएणं सिसिरेण व जलेण अचंति कयपुन्ना ।। ४९ ।। जेण जिणाउ न जलपूजायां जलसारकथा

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