Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृत पूजाष्टकम्
॥ १५॥
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रुकलियातोडियतणियागणो सियवडोवि । पवह्णवइहिययंपिव पडितो सह कूवखंभेण ॥ १४ ॥ गुरुकल्लोलारोहावरोह- जलपूजायां आवत्तगत्तभमणाई । अणुभविऊणं अब्भिडिय गिरितडे विहडिओ पोओ ॥ १५ ॥ अंगीकयगुरुकट्ठा तरिया केवि हु जलसारभवं व नीरनिहिं । अवरे उ अगुरुकट्ठा भवेव मग्गा समुद्दम्मि ॥१६॥ पवहणवईवि बहुधणविणासदसणविसायविव- कथा संगो । मग्गो अगाहसलिले भववासे को सया सुहिओ ॥ १७ ॥ तयणु जलमाणुसीए मयणायत्ताए निययदइओत्ति । आलिंगितो जहट्ठियवत्थु न नियंति रायंधा ॥ १८ ॥ आयड्डिय सलिलाओ भोगत्थं तीए गिरितडे नीओ । सुहपरिणईए l जीवोब कडिओ नरयमज्झातो ॥ १९॥ सा तं दटुं न इमो पिउत्ति भीया गया जले झत्ति । सावायपरहाणे को चिट्ठइ नायपरमत्थो ॥५२०॥ सेलतडसिलासीणो चिंतेई मज्झ चेव पडिकूलो । एस हयविहिविलासो पुवज्जियदुकयवसयस ॥ २१॥ ज अञ्चब्भुयधणकणभरियपि पवहणं विहडियं मे । मरणंतबसणं सिंधुमजणाहमवि संपत्तो ॥ २२ ॥ जं जस्स जया जायइ सुहमसुहं वा तयं तया तेण । धेजमवलंबिऊणं सहियवं जेणिम भणियं ॥ २३ ॥ जंचिय विहिणा | लिहियं तं चिय परिणमइ किं वियप्पेण । इय जाणिऊण धीरा विहुरेवि न कायरा हुंति ॥ २४ ॥ एवं विभावणागयविसायवसजायमणअवटुंभो। अवलोइउ पवत्तो रमणीए पचयपएसे ।। २५ ।। गुरुसिहरगुहाकंदरनियंबनिज्झरसयाई पेच्छन्तो। भक्खंतो य फलाई कइवयदिवसाइं तत्थ ठिओ॥२६॥ किच्छेणमवरदिवसे तग्गिरिसिहरंमि दुगामे चडिओ। अवलोयइ अइबहलं वणसंड मेहखंडंव ॥ २७ ॥ अनिलतरलाओ जत्तो निवडतो नजए कुसुमनियरो । सुक्कोदयऽत्थभवघणपडलाउ व करयनिउरूंबो ॥२८॥ ज मज्झट्ठियकंचणमणिमयजिणभवणकिरणकबुरियं । कप्पहुमसंडंपिव सोहइ आभरणगणजुत्तं ।। २९ ॥ तंमझे गयणंगणगयसिंगं जिणहरं सुबन्नमयं । मेरुंपिव अवलोयइ तलसंठियभदसालवणं ॥ ५३०॥ आभाइ जस्स सिहरे संकतानिलचला सियधयाली । सुरगिरिजिणण्हाणपवत्तदुद्धजलपवहपंतिव ॥ ३१ ॥

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