Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
View full book text
________________
सराई ॥ २ ॥ इय सद्धम्मं रज्जस्सिरिं च परिपालिऊण बहुकालं । नामेण रयणसारं कुमरं रज्जे ठवेऊण ॥ ३ ॥ नियजणयचरणमूले दिक्खं गहिऊण कयतवञ्चरणो । पावियकेवलनाणो "पिउणा सह सिद्धिमणुपत्तो ॥ ४ ॥ विहिया जह जलपूया सिवसुहहेऊ इमस्स संजाया । तह जायइ खन्नस्सवि भत्तीए तीए ता जयह ॥ ५ ॥ ( जलपूजा 34 फफफफफ भणिओ जलपूयाए जलसारो संपयं पयंपेमि । निव धूवसुंदरकहं आयन्नह धूवपूयाए ॥ ६ ॥ 55555 अस्थि फुरियमहानीलमणिसिलासालफलिहकविसीसं । सिरकुसुमियवणपरिवेढियंव नयरं महासालं ॥ ७ ॥ | पडिमंदिरमणिभित्तिप्पडिबिंबियतरणिभासुरत्तेण । जं पेच्छिउंपि तीरइ न तस्स कत्तोरिपरिभूई ॥ ८ ॥ थिरमइपयावजियगुरुअहिमयरो जलनिहिब गंभीरो | चंदोव पवित्तकरो राया नयसुंदरोत्थि तहिं ॥ ९ ॥ बहुसंखमंडलग्गप्पहारपरजयपवित्तयाकलिओ । जो एकमंडलग्गप्पहारपरजयपवित्तोवि ॥ ६१० ॥ तस्संतेउरतरुणीपहुत्तपयमस्सिया पिया अस्थि । नामेण कम्मणावि हु विजयवई सीलकुलभवणं ॥ ११ ॥ उज्झतागुरुनवधूवसुंदरी धूवसुंदरो नाम । तीएत्थि हत्थिमंथर गई रईसोवमसरीरो ॥ १२ ॥ समराइओ सुसाहुब समणधम्मोव जो सुहयमुत्ती । सक्कमलच्छि - | विलासो गयकरवाहो महुमहोब || १३ || कुमरो कयाइ आरुहिय खंधरं गुरुकरेणुरायस्स । छत्ततिरोहियतरणी तरुणीकरचलिरसियचमरो ॥ १४ ॥ पुरओ पयट्टहयघट्टचडियनियमित्तपत्ति (पंति ? ) संजुत्तो । पविसिय सहाए पणमिय पिउणो | पुरओ समुवविट्ठो ॥ १५ ॥ एत्थंतरम्मि रणवीरराइणो दारवालविन्नत्तो । दूतो दुयं नरिंदं नमिडं विन्नबिमारद्धो ॥ १६ ॥ पहु पिहुपयावपावयपुलुट्ठपरिपंथिसत्थसलहेण । गयनयर पहुरणवीरेण पेसिओ तुह सयासे हं ॥ १७ ॥ मह पहुणा तुह आणा पट्ठविया जह पयच्छ पइवरिसं । मह करमह न पयच्छसि धरियधणू होसु ता समुह ॥ १८ ॥ | असरिस सामत्थेणवि तेण तुमं नीइपुवयं भणिओ । को महुरोसहसज्झे रोए कडुओसहं देइ ||१९|| ता हरिही रज्जपि हु
धूपपूजायां धूपसुंदरकथा

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90