Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 7
________________ पूयावि । तब्भवणपेच्छणछला महई वेलं ठिया बाला ॥ ६५ ॥ वारं वारुं चलसुत्ति सोविदलीहिं विन्नविज्जंती । पक्खलियकमं तं पेच्छिरी गया जाणमारुहिउं ॥ ६६ ॥ गच्छंती कुमरेणं पलोइया सोवि तीए सच्चविओ । अणुरते जंताई धरि को तरइ नेत्ताई ॥ ६७ ॥ नयणपद्मइकंताए तीए अरई कुमारमणुपत्ता । लहइच्चिय अवयासं कइयावि अणिट्ठभज ॥ ६८ ॥ रंमंपि तविओए उज्जाणं पिइवणंव दुक्खकरं । कलयंतो कुमरो तुरियं तुरयमारुहिय संचलिओ ॥ ६९ ॥ नयरपउलिं पविट्ठो सुणइ समाउलियलोयहलबोलं । नियइ य गुरुतरुघरपुरसालारूढं सभयलोयं ॥ ७० ॥ किमिमंति कयवियको पेच्छइ सुन्नासणं गयाहिवई । पाडतं पासाए मारंतं तुरय-नर-करहे ।। ७१ ।। चरणागरिसियसंकलसरेण नियडयखडक्खडाए य । गलगज्जिएण य जणं जो जाणावन्तो व धावेइ ॥ ७२ ॥ मा महभारकंता भूमी मुच्छिज्जउत्ति कलिडं व । सिंचंतो गुरुफुक्कारसिक्करासारसलिलेण ॥ ७३ ॥ चलकन्नतालचालियस सहर सिय| चारुचमरजुयलेण । जो वीयइ दंतसुहासणट्ठियं रायलच्छि व ॥ ७४ ॥ दहुं सुहासणट्टियनिवतणयं धाविओ करि तो । सा ज्झंपाए समुत्तिना नियडेणत्थे थिरो को वा ॥ ७५ ॥ पीणपओहरगुरुतरनियंबभरमंथरक्कमगईए । नासिउमतरंती सा गहिया करिणा कुरंगच्छी ॥ ७६ ॥ दूरुक्खित्ताए पवणप्पसारिओ तीए कुंतलकलावो । समयगयकडतडुड्डीणभमरनियरोव रेहेइ ॥ ७७ ॥ वियसियसिरीसकुसुमोहसमहियप्फासलालसेणं व । गाढं गएण नियकरदंडेणालिंगिया बाला ॥ ७८ ॥ करिणा हरिणंकमुही सुमुही विहिया विहाइ गयणयले । नियकुंभतत्थणाण व पीणत्तं दहुकामेण ॥ ७९ ॥ मा मह भएण एसा मुच्छिज्जड इय विभाविऊण करी । तं वीयइव चलकन्नतालजुयताल| घंटेहिं ॥ ८० ॥ तं दद्धुं रायसुओ झडित्ति मुत्तुं तुरंगमं वेगा । उद्धाइओ गयं पइ हक्कतो कक्कससरेण ॥ ८१ ॥ रे रे | दुट्ठ गयाहम मोतुं नारं वलेसु मह समुहं । जइ सत्तमत्थि इय सुयकुमरालावा भणइ कुमरी ॥ ८२ ॥ मह कीडिय - कुसुमपूजायां कुसुमशेखरकथा

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