Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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जलपूजायां जलसार-कथा
आराहयंति सया ॥ ४६० ॥ एगायवत्तधरणीवइत्तसंपत्तउत्तमजसस्स । तस्सुप्पन्नो कइयावि पुत्तओ पट्टदेवीए ॥६१॥ विहिउं वद्धावणयं नाम कुमरस्स कित्तिसारोत्ति । दिन्नं रन्ना सम्माणिऊण निस्सेसपुरलोयं ॥ ६२ ।। परिवदिउमारद्धो कमेणमज्झावयाणमुवणीओ। समहीयकलो जातो समलंकियजोवणो कुमरो ॥ ६३ ॥ परिणाविओ य उबणजोबणकमणीयरायकुमरीओ। समयंमि तमभिसिंचिय रजे राया गुरुविराया ॥६४ ॥ नाणधरसूरिपासे गहिउं दिक्खं तवं तविय तिक्खं । उप्पन्नणंतनाणो पत्तो सो सिद्धिसंबंधं ॥६५॥ जह विहिया फलपूया फलसारेणं महामहीवइणा । अन्नेणवि सिवसुहमिच्छुणा तहच्चेव कायवा ।। ६६ ।। -* फलपूजा -
फ लपूयं अणुसरिउ फलसारो भूवई इमो भणिओ। इण्हि जलपूयाइ जलसारकह निसामेह ॥ ६७ ॥5555+ भूरिहिमनिम्मिओ इव पुंजियकप्पूरदलसमूहोब । रुप्पयमओ विसालो वेयड्डो नाम अत्थि गिरी ॥ ६८ ॥ रुप्पयमयम्मि तम्मि तमालकंकेल्लिकयलिसंडाइं । दिट्ठारुणमरगयमणिसिहराइं पिव विरायंति ॥ ६९ ॥ तम्मि य रहनेउरचक्कवालनामं समत्थि गुरुनयरं । जम्मि तिमिराणभिन्नो लोओ मणिमहपहालोए ॥४७॥ जत्थ गुरुमुत्तियाओ हरिसहिययाओ सुपयचक्कातो। सउणासियसयवत्ता सईउ सरसी उवहसंति ॥ ७१ ॥ पणमंतखयरनिवइसिरपिंगमणिप्पहापिसंगपओ । जलहरसारो नामेण तत्थ खेयरवई अस्थि ।। ७२ ॥ नियदाणबुद्धिजियजलहरावली जलहरावलीनाम । तस्सत्थि हत्थिमंथरसंचारा सहयरी सारा ॥ ७३ ॥ तीए समत्थि जलरासिसिविणसूइयगहीरयावासो। जलसच्छप्पयईचिय कुमरो नामेण जलसारो ॥ ७४ ॥ मयणोब अतणुरूवो समग्गजणविहियहिययवासो जो। कमलायरोब गुरुमित्तदंसणुल्लसियसुवियासो।। ७५ ॥ उत्तमकुलावयंसो वयंसजणसंगतोवि रायसुतो। कीलाकए कयाइवि पत्तो सायरगयगिरम्मि ॥ ७६ ॥ वेलजलचलणविघुट्टफुट्टगुरुसुत्तिमोत्तियप्पयरो। सामे जम्मि दिणम्मिवि विभाइ
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