Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah
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श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम्
अक्षतपूजायां अक्षतकीर्तिकथा
॥७॥
FULSESSIFFEREETITLESSHEETHELELESESE
कित्तिमरायाओ दुरहिगंधाओ । नारीओ असुइभरियाओ विलसिरो किमिह तिप्पिहिसि ॥ २८ ॥ वसिउ समग्गसुहवत्थुपरिमलुग्गारसुरहिसुरलोए। वसियस्स असुइगम्भे न विराओ तुह हहा मोहो ॥ २९ ॥ नियपडिवण्णे निरिणों जाओहं राय तुह हियं कहिउं । ता कुणसु जमप्पहियं मा मज्जसु मूढ भवकूवे ॥२३०॥ इय सुयउवसमरसअमयवरिससमअमरदेसणो राया। सिरविरइयकरकोसो संविग्गमणो भणइ अमरं ।। ३१ ॥ पहु तुमए अमएणव महमोहमहाविसं हरेऊण । उप्पाइओ पबोहो उवयारपराऽहवा गुरुणो (पाठांतर भवे गुरुणो) ॥३२॥ ता इण्हि गिहिस्सं दिक्खं परिणाविउंदुहियमेगं । दाउं रजंपि वरस्स मित्त ता आणसु तयंति ॥ ३३ ॥ एवंति भणिय अमरो पत्तो नयरीए चमरचंचाए। अमरविणोयपमत्तो रायवरं सरइ दसमदिणे ॥ ३४ ॥ अक्खयकित्तिकुमारं हरिऊणं रयणसुंदरनिवस्स । अप्पसु झडत्ति इय भणिय पेसिएणुचरममरं सो ॥ ३५॥ इय पडिवज्जिय नयरीए कित्तिकलियाए झत्ति संपत्तो । कुमरे तुरंगनिचयं आवाहंतं पुरीए बहिं ॥३६॥ विहियममरेण निवसुययरूवं तमि निवसुओ चडिओ। तो गंतुं दुरपहे गयणेण गओ हओ सहसा ।। ३७ ॥ गरुयगिरिसरियनयराइं गयणमग्गेण इक्कमंतेण । अमरतुरएण वेरी सच्चविओ उज्जओ इतो ॥३८॥ तं दटुं सो नट्ठो मोत्तुमणवलंबणं नरिंदसुयं । अप्पंमि विणस्संते परोवयारी हवइ विरलो ॥३९॥ निवडइ रायंगरुहो रएण गयणंगणा निराहारो। सट्ठाणभट्ठाणं गरुयाणवि होइ वा पडणं ॥२४०॥अवरुंडिऊण धरिओ निवपुत्तो वानरीए निवडतो। सुहपुन्नपरिणईए जंतो जीवो व नरयम्मि ।। ४१॥ कोमलकिसलयनिचये निवेसिउं तं जलासया सलिलं । घेत्तूण पत्तपुडए धोयइ दासिब तच्चरणे ॥ ४२ ॥ खजरकयलिफलदाडिमाइ भोयविय पाइओ सलिलं । तीए मिउदलरइए सथ्थरए सोविओ तयणु ॥ ४३ ।। उल्लयपूगप्फलनागवेल्लिदलदावदद्धगिरिचुनं । आणित्तु तीए दिन्नं तंबोलं भुंजइ कुमारो॥४४॥ उवविसिय सम्मुही सा करकयकयलीदलेण कुमरतणु । बीयंती अवलोयइ रायसुयं |
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