Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 15
________________ अक्षतपूजायां अक्षत. कीर्तिकथा गणविलासदुल्ललिओ। धुवंतचारुचमरो चमरो नामेण अमरवई ॥२१०॥ निवसंति तत्थ रवितेयचंदतेयाभिहा अमरकुमरा । रविचंदा इव भमिरा हरंति तेएण तिमिराई ॥ ११॥ निहालसाइसरीरलिंगनिच्छइयचवणसब्भावो। जंपइ रवितेओ मित्त चवणसमओ इमो मज्झ ।।१२।। ता में पत्तनरत्तं पडिबोहेजसु तुम अवसरम्मि । इय जपिउं चुओ सो सुमरियजिणगुरुचरणकमलो ॥१३॥ नयरम्मि धरासारे मणिमंदिररइयधरणिसिंगारे । जाओ राया सिरिरयणसुंदरो नाम रम्मंगो ॥ १४ ॥ विलसंतरूवजोवणअभग्गसोहग्गसंगयंगीहिं । दइयाहिं समं विसए उवभुजंतो गमइ कालं ॥ १५॥ कइयावि चंदतेएण मित्तदेवेण तस्स रयणीए । कहिओ सुरभवरइओ नरत्तपडिबोहवुत्ततो ॥ १६॥ तं सोउं जाईसरणनाणनयणेण दिट्ठपुत्वभवो। जंपइ राया तुमए पडिवनं पालियं किंतु ॥ १७ ॥ पहु जोवणं नवं मणहरा सिरी असमसुहयरा वि सया । रत्ताओ कंताओ भत्ता मित्ता अपुत्तो हं ॥ १८ ॥ ता अज्ज वि असमत्थो अप्पहियं काउमाह अमरो वि । परमत्थविमूढमईण राय इय उत्तराई जओ ॥ १९ ॥ रोयजराजोयविणस्सिरस्स तरुणियणमणहरस्सावि । का राय सारया जोवणस्स मोत्तुं तवच्चरणं ॥ २२० ॥ चोरानलजलरायग्गहाइबहुविहअवायसज्झाए । धम्मट्ठाणवयमंतरेण न सिरीए अत्थि गुणो ॥ २१॥ सरिसवसमसोक्खकरा सुरगिरिगुरुदुक्खदाइणो दूरं । अच्चासत्तीए तणुक्खयं न किं दिति निव विसया ॥ २२ ॥ अंतो निन्नेहाणं पवंचरयणाहिं रंजियजणाणं । किं सारं कंताणं मरणंताणत्थहेऊणं ॥ २३ ॥ परदइयादवग्गहविरइयमेत्ती कुसुद्धहिययाण । किं वन्नेसि नरेसर सकजसज्जाण मित्ताण ॥२४॥ परिपालिया वि परिपाढिया वि अप्पियधणावि निव नूणं । पुत्ता न परित्ताणं कुणंति नरए पडताणं ॥ २५॥ भववासलालसाणं हवंति आलंबणाई एयाई। अणुसरियसीहवित्तीण न उण आसन्नसिद्धीण ॥ २६ ॥ थिरजोवणाहिं अणुराइणीहिं पयईए सुरहिगंधाहिं। विसए देवीहिं समं भोत्तूण चिरं न जइ तित्तो ॥ २७ ॥ ता गलिरजोवणाओ अनन्त०२

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