Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam
Author(s): Nemichandrasuri
Publisher: Raichand Gulabchand Shah

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Page 19
________________ अक्षत पूजायां अक्षत कीर्तिकथा HEREFFEREFERES-55 पत्ताणि । वेयड्डत्तरसेढीए गयणवल्लहपुरे ताणि ॥८॥ उववेसिउं सहाए कुमरं खयराहिवेण रज्जसिरी । उवणीया भणिरेणं तं सामी सेवगो हं ते ॥ ८२ ॥ कुमरेणुत्तं विलससु नियलच्छि जं मएवि तुह दिन्ना । नवरं मए समाणं अणुहवमाणो सिणेहभरं ॥८३॥ तं सोउं खयरिंदेण हिट्ठहियएण पूइउं अमरं । कुमरकुमरीण रइओ सम्माणो नियसिरिसरिसो॥८४॥ तो अमरो कुमरीकुमरखेयराहिवबलेहिं संजुत्तो। चलिओ पत्तो य धरासारे नयरे गुरुरएण ॥८५॥ कुमरी अवहरणससोयलोयपिहियावणं तमिक्खंतो। पत्तो विसन्नसिंगारहीणनिवलोयमत्थाणं ॥ ८६ ॥ दटुं अमरं कुमरीए संगयं नट्ठसोयसंतावो। राया पूइय अमरं आलिंगइ कन्नयं हिट्ठो ॥ ८७ ॥ काउं कुमारखयरेसराण सम्माणममरमुल्लवइ । | मित्त सुयावुत्तंतं हरणागमणाण मह कहसु ।। ८८ ॥ तो अमरेण समग्गं कन्नाकुमराण हरणवुत्तंतं । कहिउं भणिओ राया परिणावसु कन्नयं कुमरं ॥८९॥ ठविउं रज्जम्मि इमं अप्पहियं कुणसु गहियपवज्जो । इय भणिए जा चिंतइ विवाहसामग्गियं राया ॥ २९० ॥ ता अमरेण ससचीए झत्ति मणिथंभयावलीकलिओ। वीवाहमंडवो पंचवन्नधयमालिओ विहिओ ॥ ९१ ॥ रइया य हट्टसोहा समंतओ देवदूसविसरेण । किंबहुणा निवचिंतियममरेण कयं समग्गपि ॥ ९२ ॥ गुरुरिद्धीए कुमरी दिन्ना कुमरस्स तेण परिणीया । करमोयणम्मि दिन्नं रजं सत्तंगमवि तस्स ॥९३ ॥ एथ्थंतरंमि उज्जाणपालओ दंडिसूइओ पत्तो । पल्लवओ नामेणं नमिउं विन्नवइ नरनाहं ॥ ९४ ॥ देवुजाणे कलकोइलाभिहे केवली समोसरिओ। सोऊण तइं वियरइ राया पीइप्पयाणं से ॥ ९५ ॥ गुरुरिद्धीए सुरखेयरिंदनवनिवइपरिगओ तुरियं । पत्तो उज्जाणे नमिय केवलिं तत्थ उवविट्ठो॥ ९६ ॥ दहण केवलिं नवनिवई मुच्छाए महियले पडिओ । सिसिरकिरियासमुवलद्धचेयणो पुच्छिओ रन्ना ।। ९७ ॥ किं राय मुच्छिओ तं सो जंपइ केवलिं पलोएउं । मह जाइसरणसंसूयगा इमा आगया मुच्छा ।।९८॥ दिट्ठो नियपुवभवो हुँतो कासीभिहाण देसे हैं। दुग्गयपडागनामो आजम्मदरिदिओ विप्पो॥१९॥ HTTES

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