Book Title: Anantnath Charitra Dudhrutam Pujashtakam Author(s): Nemichandrasuri Publisher: Raichand Gulabchand Shah View full book textPage 6
________________ पूजायां श्रीअनन्तनाथचरित्रादुद्धृतं पूजाष्टकम् कुसुम शेखरकथा ॥ २ ॥ पसंतमोहाण । गुरु रायायत्ताणं मह सरिसाणं तु का वत्ता ॥४७॥ सोच्चिय गुरुरायधरो सोच्चिय सरसो इमाए बालाए। सवंगसंगम जो लिहिही घुसिणगरागोछ । ४८ । सो चेव चारुवन्नो पवित्तगुरुमुत्तसियगुणमहग्यो । एयाए मयच्छीए हियए हारोब जो वसिही ॥ ४९ ॥ इए चिंततो संतो मयणायत्तो ठिओ कुमारोवि । सूरचरिओवि कायरनरनियरनिदरिसणं जाओ ॥ ५० ॥ धवलइ कुमरं बाला नियच्छिजोहाए सोवि रायसुयं । पञ्चुवयरंति सिग्धं गरुया रइओवयारम्मि ॥ ५१॥ तं पेच्छरी कुमारी पत्ता पासंचि कामपडिमाए । सविणयपणामपुवं पूर्व काउं समारद्धा ॥ ५२ ॥ परिपूर्यती मयणं पुणो पुणो पेच्छिरी कुमरवयणं । दंसह मयणस्सव तं दइयमिमं देहि मज्झत्ति ॥५३॥ पूयाए जाइ मयणे तद्दिट्ठी निवसुएणुरायेण । रूवंतरंव दटुं पइक्खणं कामकुमराण ॥ ५४॥ पुच्छइय मयणियं नाम नियसहिं को वयंसि एस जुवा । तीए कुमारथइयावहाउ नाऊण कहियं से ॥ ५५ ॥ सहि सुणसु कुसुमसुंदरनयरे निययप्पयावजिय| तरणी । कुसुमावयंसयनिवो भज्जा कुसुमस्सिरी तस्स ॥ ५६ ।। पउरगुणपउरनयरं ताण सुओ कुसुमसेहरो नाम । सयलकलाकलियतणू नियजोवणरमणिमणहरणो ॥ ५७ ॥ भत्तस्स विणीयस्सवि नीइपरस्सावि तस्स नरवइणा । केणावि कारणेणं पराभवो विरइओ दूरं ॥ ५८॥ तं अवमाणं काऊण माणसे अद्धरत्तसमयम्मि । परिमियपरिवारजुओ चलिओ देसंतरे कुमरो ॥ ५९॥ इह पत्तो विनातो तुह जणएणं अणिच्छमाणोवि । गंतुं पञ्चोणीए रिद्धीए पवेसिओ एत्थ ॥ ६०॥ संमाणिऊण भणितो मा गच्छसु वच्छ अच्छसु इहेव । जं मज्झ तुझ जणओ मित्तो अचंतगोरबो ॥६१॥ ठाउमणिच्छंतोवि हु निवोवरोहा इहट्ठिओ स इमो। अणभिमयं पि न गरुया दक्खिन्नपरा परिहरंति ॥६२॥ तं सोउं रायसुया चिंतइ जुत्तो इमंमि अणुराओ। नवरं एसो रत्तो नो वा संपइ न याणामि ॥६३।। कुमरेणुत्तो थइयावहो अरे मंतियं किमेयाए । तेणु निवकन्नासहीए तुह पुच्छियं चरियं ॥ ६४ ॥ कुमरनिरिक्खणलुद्धा निवत्तियकामपडिम | ॥ २ ॥Page Navigation
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