Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
View full book text
________________
फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ
फ्र
卐
卐
चित्र परिचय - १
चलमाणे चलिए
भगवान महावीर से गणधर इन्द्रभूति गौतम पूछते हैं
(१) भन्ते ! जो चल पड़ा, उसे चलित (चला) कहा जा सकता है ? (२) इसी प्रकार उदीर्ण- (बाहर लाना) जैसे कुएँ से जल निकालना प्रारम्भ किया है, तो उसे निकाल लिया। (३) वेदन- (भुक्त) जैसे भोजन का प्रथम ग्रास खाना प्रारम्भ किया है, उसे भुक्त। (४) प्रहीण - जैसे दीवार की ईंट गिरानी प्रारम्भ की है, उसे प्रहीण (नष्ट)। (५) छिद्यमान - (छेदना) जैसे हवा भरे गुब्बारे को छेदने के लिए तीर चलाया
तो उसे छिन्न । (६) भिद्यमान - जैसे वृक्ष की टहनी को काटना प्रारम्भ किया है, उसे भिन्न । (७) दह्यमान - जैसे घास के ढेर को जलाना आरम्भ किया उसे दग्ध, (८) म्रियमाण - जैसे कोई अन्तिम साँस गिनता मर रहा है, उसे मृत, (९) निर्जीर्ण- (झरना) जैसे घड़े से जल झरना आरम्भ हुआ है, तो उसे निर्जीर्ण (झर चुका)। क्या इस प्रकार कहा जा सकता है ?
इन सभी उदाहरणों को आत्मा के साथ लगे कर्मों को जोड़कर समझना चाहिए। जैसे जो कर्म चलित हो चुका है, उसे चलित, इसी प्रकार जिस कर्म की निर्जरा प्रारम्भ हो चुकी है। उसे निर्जीर्ण कहा जा सकता है।
Illustration No. 1
WHAT IS MOVING IS MOVED
Ganadhar Indrabhuti Gautam asked Bhagavan Mahavir
(1) Bhante ! Is it proper to express a thing that is moving as moved ?
-शतक 9, उ. १, सूत्र ५, पृष्ठ १२ फ
In the same way can we call ( 2 ) fructified (brought out ) — taking out 5 water from a well as taken out, (3) experienced — taking of first morsel of 5 food as eaten meal, (4) fallen-falling of one brick of a wall as demolished the wall, (5) pierced-launching of an arrow to pierce a balloon as pierced, (6) cut —a tree branch being cut as cut (7) burnt - 5 5 putting of flame to a heap of grass as burnt, (8) dead a person taking 5 his last breath as dead, and (9) shed-commencing of pouring water from a pitcher as shed.
卐
Jain Education International
All these examples should be used to understand the interaction of soul and karma. For example the karma that is moving is called moved,
and so on up to the karma that is being shed is called shed.
*த*தமி*******ழமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமி மிதிதV*****மிழிழிக
फफफफफफफफफफफफ
For Private & Personal Use Only
卐
--Shatak 1, lesson 1, Sutra 5, page 12 फ
卐
卐
www.jainelibrary.org