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त्रिपृष्ठ वासुदेव का नरक में उत्पाद, शक्र के सामानिक देव, जम्बूद्वीप के बहिर्वर्ती मंदरों और अंजनक पर्वतों की ऊँचाई, हरिवर्ष एवं रम्यक वर्ष की . जीवाओं के धनुःपृष्ठ का परिक्षेप, पंकबहुल काण्ड के चरमान्तों को अन्तर व्याख्याप्रज्ञप्ति के पद, नागकुमारावास, प्रकीर्णक, जीवयोनियां; पूर्वादि संख्याओं का गुणाकार, ऋषभ की श्रमणसम्पदा, विमानावास !" १६२ पंचासीइइमो समवायो/पचासिवां समवाय . ......
आचारांग के उद्देशनकाल, धातकीखंड के मन्दर रुंचक द्वीप के माण्डलिक पर्वतों की ऊंचाई, नन्दनवन । छलसीइइमो समवायो/छियासिवां समवाय .. ...:
सुविधि जिन के गण और गणधर, सुपार्श्व जिन की वादी-संम्पदा, दूसरी पृथ्वी से घनोदधि का अन्तर। . .. ... ...१८६ सत्तासीइइमो समवानो/सत्तासिवां समवाय · .
मन्दर पर्वत, कर्मप्रकृति, महाहिमवन्त पर्वत एवं सौगंधिककूट : . का अन्तर ।
१८७ अट्ठासीइइमो समवायो/अठासिवां समवाय
सूर्य-चन्द्र के महाग्रह, दृष्टिवाद के सूत्र, मन्दर एवं. गोस्तुभ पर्वत का . अन्तर, सूर्यसंचार से दिवस-रात्रिक्षेत्र का विकास-हास ।
१८६ एगूणणउइइमो समवाओ/नवासिवां समवाय ___ऋषभ का सिद्धिकाल, महावीर का निर्वाणकाल, हरिषेण चक्रवर्ती का राजकाल, तीर्थकर शान्ति की आर्याएँ । गउइइमो समवायो/नब्बेवा समवाय .. . ..
शीतलनाथ की अवगाहना, स्वयंभू का विजयकाल, वैताढ्य-पर्वत .. और सौगंधिक काण्ड का अन्तर । एक्काणउइइमो समवायो/इक्यानवेवां समवाय
.. : : परवैयावृत्यकर्म, कालोद समुद्र की परिधि, कुन्थु के अवधिज्ञानी, कर्मप्रकृतियाँ। वाणउइइमो समवानो बानवेवां समवाय ... ___ प्रतिमा, इन्द्रभूति का प्रायुष्य, मंदर और गौस्तुभ पर्वत का अन्तरः १६५ तेणउइइमो समवानो/तिराहनवेषां समवाय ___ चन्द्रप्रभ जिन के गण और गणधर, शान्ति के चतुर्दशपूर्वी साधुओं की संख्या, सूर्यसंचार ।
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