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चउसटिमो समवायो/चौसठवां समवाय
अप्टाप्टमिका भिक्षुप्रतिमा, असुरकुमारावास, दधिमुख पर्वत, विमानावास । पणसहिमो समवायो/पैंसठवां समवाय
जम्बूद्वीप में सूर्यमण्डल, मार्यपुत्र का गृहवास, सौधर्मावतंसक विमान के भवन । छावटिमो समवानो/छासठवां समवाय
मनुष्यक्षेत्र में चन्द्र-सूर्य, श्रेयांस के गण और गणघर, प्राभिनिवोधिक ज्ञान की उत्कृष्ट स्थिति ।
१६२ सत्तसट्ठिमो समवानो/सड़सठवां समवाय ___नक्षत्रमास, हैमवत-ऐरण्यवत की भुजाएँ, मंदर-पर्वत, नक्षत्रों का सीमा-विष्कम्भ ।
१६३ अट्ठसठिमो समवानो/अड़सठवां समवाय
घातकीखण्ड में विजय, राजधानियाँ, तीर्थकर, बलदेव, वासुदेव, विमल की श्रमणसम्पदा । एगूणसत्तरिमो समवानो/उनहत्तरवां समवाय
समयक्षेत्र में वर्ष और वर्षधर पर्वत, मंदर पर्वत का अन्तर, कर्मप्रकृतियाँ । सत्तरिमो समवायो/सत्तरवां समवाय
___ महावीर का वर्षावास, पार्श्व की श्रमण-पर्याय, वासुपूज्य की अवगाहना, मोहनीय कर्म की स्थिति, माहेन्द्र के सामानिक देव । १६६ एक्कसत्तरिमो समवानो/इकहत्तरवां समवाय
चन्द्रमा का अयन-परिवर्तन, वीर्यप्रवाद पूर्व के प्राभृत, अजित का गृहवासकाल, सगर का गृहवासकाल और श्रामण्य । वावत्तरिमो समवानो/बहत्तरवां समवाय
सुपर्णकुमारों के आवास, लवणसमुद्र की वेला का धारण, महावीर का आयुष्य, आभ्यन्तर पुष्कराध में चन्द्र-सूर्य, बहत्तर कलाएँ, खेचरों की स्थिति ।
१६८ तेवत्तरिमो समवानो/तिहत्तरवां समवाय
हरिवास-रम्यकवास की जीवाएँ, विजय वलदेव की सिद्धि । १७१
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